नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. सीएए को लेकर 59 याचिकाएं दाखिल की गई है, जिसपर CJI एस ए बोबड़े, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्य कांत की बेंच सुनवाई करेगी. याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस के नेता जयराम रमेश, AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी, TMC की महुआ मोइत्रा, RJD के मनोज झा, जमीयत उलेमा ए हिंद, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग शामिल हैं.


ज्यादातर याचिकाओं में धर्म के आधार पर शरणार्थियों को नागरिकता देने वाले कानून को संविधान के खिलाफ बताया गया है. सुप्रीम कोर्ट में सर्दी की छुट्टी से पहले कामकाज का बुधवार को आखिरी दिन है. ऐसे में याचिकाकर्ताओं की कोशिश कानून पर रोक हासिल करने की होगी. याचिकाओं पर सुनवाई सुबह 11.30 बजे के करीब होगी.





RJD के मनोज झा ने आज दायर की गई अपनी याचिका में कहा है कि यह कानून धर्मनिरपेक्षतावाद का उल्लंघन है क्योंकि इसमें धार्मिक समूहों के खिलाफ ‘‘भेदभाव की दुर्भावना’’ के साथ नागरिकता मुहैया कराने में कुछ लोगों को बाहर रखा गया है.


मनोज झा ने वकील फौजिया शकील के जरिए दायर याचिका में कहा, ‘‘भारतीय नागरिकता का चरित्र धर्मनिरपेक्ष है. धर्म के आधार पर नागरिकता देते हुए लोगों के बीच भेदभाव करना संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है. यह संविधान के मूल सिद्धांत और संवैधानिक नैतिकता की अवधारणा की घोर उपेक्षा है.’’


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जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की है. उसने कहा कि यह कानून संविधान के बुनियादी मूल्यों का उल्लंघन करता है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है.


याचिका में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून भारत के पड़ोसी देशों से हिंदू, बौद्ध, ईसाई, पारसी, सिख, जैन जैसे समुदाय के सताए हुए लोगों को नागरिकता देने की बात करता है. लेकिन इसमें जानबूझकर मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है. इस तरह का भेदभाव करने की भारत का संविधान इजाजत नहीं देता. सुप्रीम कोर्ट तुरंत इस कानून के अमल पर रोक लगा दे.


एकतरफा आदेश न देने की मांग
इस मामले में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय समेत कुछ लोगों ने कैविएट दाखिल की है. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट उन्हें भी सुने. कानून पर रोक लगाने वाली याचिकाओं पर कोई एकतरफा आदेश पारित न करे. वैसे भी ऐसा नहीं लगता कि कानून के अमल पर रोक लगाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट सरकार की बात सुने बिना देगा. ऐसे में, कल की सुनवाई में कानून के अमल पर रोक लगाने जैसा आदेश आ जाएगा, इसकी उम्मीद कम ही नजर आती है. इस बात की गुंजाइश ज़्यादा लगती है कि मामला विस्तृत सुनवाई के लिए जनवरी के महीने में लगाया जाएगा.


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