नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून बनते ही देश के कई हिस्सों में विरोध शुरू हो गया. देश के कई शिक्षण संस्थानों के छात्रों ने युनिवर्सिटी कैंपस से लेकर सड़कों तक इस कानून का विरोध किया. पुर्वोत्तर का राज्यों से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक इस कानून के विरोध में प्रदर्शन हो रहा है. हालांकि इस कानून का विरोध अलग-अलग जगह अलग-अलग मांगों को लेकर किया जा रहा है. जहां पुर्वोत्तर राज्यों में इस कानून का विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि नागरिकता दी जा रही है तो वहीं देश के अन्य हिस्सों जैसे जामिया, AMU और अन्य जगहों पर इसका विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि उनको नागरिकता के इस कानून में शामिल नहीं किया गया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि पुर्वोत्तर में और देश के दूसरे हिस्सों में इस कानून का विरोध क्यों हो रहा है.
पुर्वोत्तर में विरोध का कारण क्या है
नए नागरिकता कानून के मुताबकि बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से आए हिंदू-जैन-बौद्ध-ईसाई-पारसी-सिख शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलना आसान होगा, लेकिन पूर्वोत्तर के राज्य इसका विरोध कर रहे हैं. दरअसल, पूर्वोत्तर के कई राज्यों का कहना है कि अभी भी बड़ी संख्या में उनके राज्य या इलाके में इस समुदाय के लोग ठहरे हुए हैं, अगर अब उन्हें नागरिकता मिलती है तो वह स्थाई हो जाएंगे.
पुर्वोत्तर राज्यों का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो उनकी अस्मिता, भाषा, कल्चर खत्म हो जाएगा. उनकी अलग पहचान खो जाएगी और इसी बात को लेकर वहां विरोध हो रहा है.
जामिया-AMU और देश के दूसरे हिस्सों में विरोध की वजह क्या है
जामिया-AMU और देश के दूसरे हिस्सों में विरोध की वजह दूसरी है. यहां कहा जा रहा है कि इस नए कानून में हिंदू-जैन-बौद्ध-ईसाई-पारसी-सिख शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात कही गई है लेकिन मुसलमानों को इसमें शामिल नहीं किया गया. इस पक्ष का कहना है कि उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है जबकि देश का संविधान कहता है कि किसी भी व्यक्ति से धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा. देश के मुसलमानों का कहना है कि उन्हें भी इस कानून में नागरिकता दी जाने की बात होनी चाहिए.
वहीं मुसलमानों को एक और चिंता है और वह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से जुड़ा हुआ है. मुसलमानों का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून सिर्फ इसलिए लाया गया है ताकि एनआरसी प्रक्रिया को कठिन बना दिया जाए. नागरिकता संशोधन कानून के बाद अगर देशभर में NRC लागू होता है तो हिंदू-जैन-बौद्ध-ईसाई-पारसी-सिखों को बाहरी होने पर भी नागरिकता मिल जाएगी लेकिन उन लाखों मुस्लिम के लिए श्राप साबित होगा जो किसी कारण से अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सकेंगे., जिनके पास अपने पूर्वजों के भारतीय होने का कोई सबूत नहीं होगा.
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