नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल पर बिहार के सीएम और जेडीयू ने राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने रातों रात अपनी पार्टी के स्टैंड को बदल दिया और इस बिल का समर्थन कर दिया. जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पार्टी के इस रुख का कड़ा विरोध किया है और ट्वीट कर अपनी असहमति जताई है.
प्रशांत किशोर ने ट्वीट में लिखा, “जदयू के नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन देने से निराश हुआ. यह विधेयक नागरिकता के अधिकार से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है. यह पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता जिसमें धर्मनिरपेक्ष शब्द पहले पन्ने पर तीन बार आता है. पार्टी का नेतृत्व गांधी के सिद्धांतों को मानने वाला है.”
दरअसल, पिछले साल दिसंबर महीने की ही बात है. जेडीयू के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नीतीश ने करीब 45 मिनट तक नागरिकता बिल के खिलाफ पार्टी के अंदर बात कही थी. पार्टी के नेताओं को समझाया था कि यह बिल किस तरह असंवैधानिक है और यह देश के हित में नहीं है. इस बैठक के बाद प्रशांत किशोर और राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी को नॉर्थ ईस्ट राज्यों के दलों ने संपर्क साधने को भेजा गया. असम जाकर इन दोनों नेताओं ने बातचीत की और नीतीश का उन्हें समर्थन देने की बात कही. उस जेडीयू ने उस वक्त लोक सभा में विरोध किया था जिस वजह से सरकार ने यह बिल राज्य सभा में पेश नहीं किया था. नीतीश अभी तक एनआरसी और नागरिकता बिल के खिलाफ रहे थे पर अचानक ऐसा क्या हुआ जो नीतीश ने स्टैंड बदल दिया.
पिछले महीने विधान सभा में पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश ने कहा था कि एनआरसी के मुद्दे पर वो पार्टी नेताओं से विचार कर रहे हैं और फिर वह अपना स्टैंड बताएंगे. विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि एक रात पहले देश के गृह मंत्री अमित शाह ने नीतीश से संपर्क साधा और राज्य सभा में समर्थन देने को कहा.
नीतीश के पास समर्थन देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. उन्होंने बगैर किसी सार्वजनिक बयान के राज्य सभा में पक्ष में वोट कर दिया. पार्टी के बड़े नेता खासकर प्रशांत किशोर, नीतीश के अचानक पलटने से नाराज हो गए और उन्होंने अपनी बात ट्वीट के जरिए रख दी.
प्रशांत किशोर ने नीतीश पर गांधी की बात करने को लेकर भी चुटकी ली. प्रशांत के करीबी का कहना है कि नीतीश को अपना स्टैंड बदलने से पहले कम से कम अपने कोर ग्रुप के नेताओं को बताना चाहिए कि आखिर किस परिस्थिति में वो बिल का समर्थन कर रहे हैं और दूसरा धारा 370 और अयोध्या मसले पर जो पार्टी का स्टैंड था उसे आगे जारी रखने में क्या हर्ज है. नागरिकता बिल पर जेडीयू के समर्थन से फिलहाल एक बात साफ है कि जेडीयू फिलहाल बीजेपी के दबाव में है क्योंकि बिहार में बीजेपी के सहारे ही नीतीश हैं और नीतीश की एक भी उल्टी चाल उन्हें महंगा पड़ सकता है.
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