नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल अब बुधवार को राज्य सभा में पेश किया जाएगा. लोकसभा में ये पहले ही भारी बहुमत से पास हो चुका है. लेकिन राज्य सभा का गणित कुछ अलग है. इस चक्कर में कुछ बिल पहले ही फंस चुके हैं. राज्य सभा में बहुमत के जुगाड़ के लिए मोदी सरकार ने पूरी ताकत लगा दी है. मंत्री से लेकर बीजेपी के नेता सांसदों का वोट मैनेज कर रहे हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने इस काम के लिए एक टीम बना दी है. पीयूष गोयल, भूपेन्द्र यादव, प्रह्लाद जोशी, धर्मेंद्र प्रधान और वी मुरलीधरन. हफ्ते भर से इस काम में जुटे हैं.


राज्य सभा में अमित शाह बुधवार को नागरिकता संशोधन बिल पेश करेंगे. फिर इस पर चर्चा होगी और इसके बाद वोटिंग. राज्य सभा में सदस्यों की कुल संख्या 245 है. पांच सीटें खाली हैं. यानि बहुमत के लिए 121 वोट चाहिए. बीजेपी के पास अब 83 सांसद हैं. अरुण सिंह और के सी राममूर्ति सदस्यता की शपथ ले चुके हैं. जेडीयू ने पहले बिल का विरोध किया था. पार्टी की राष्ट्रीय परिषद में ये फैसला हुआ था. लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार को बीजेपी महासचिव भूपेन्द्र यादव ने मना ही लिया. नीतीश बाबू का मन बदला तो जेडीयू ने लोकसभा में बिल का समर्थन कर दिया. राज्य सभा में पार्टी के 6 सांसद हैं. जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर बिल के विरोध में हैं. पार्टी के महासचिव पवन कुमार वर्मा की भी यही राय है. लेकिन जेडीयू अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं है.


रेल मंत्री पीयूष गोयल लगातार AIADMK नेताओं के संपर्क में रहे. उन्हें नागरिकता संशोधन बिल के बारे में बताते और समझाते रहे. आखिरकार उन्होंने AIADMK का समर्थन जुटा ही लिया. राज्य सभा में पार्टी के 11 सांसद हैं. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी को टीआरएस, तेलुगु देशम और YSR कांग्रेस का समर्थन जुटाने को कहा गया. टीआरएस ने तो बिल का समर्थन करने से मना कर दिया है. लोकसभा में पार्टी पहले ही बिल का विरोध कर चुकी है. राज्य सभा में टीआरएस के 6 एमपी हैं. बीजेपी अब तेलुगु देशम को मनाने में जुटी है. लेकिन पार्टी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. टीडीपी के राज्य सभा में 2 सांसद हैं. प्रह्लाद जोशी YSR कांग्रेस का समर्थन जुटाने में कामयाब रहे.


राज्य सभा में पार्टी के 2 सांसद हैं. पेट्रोलियम मंत्री को बीजू जनता दल की जिम्मेदारी दी गई. ओड़िशा के सीएम नवीन पटनायक से बात चीत कर उन्होंने समर्थन ले लिया. प्रधान भी ओड़िशा से ही आते हैं. राज्य सभा में बीजेडी के 7 सांसद हैं. असम के ताकतवर मंत्री हेमंत विश्व शर्मा को नॉर्थ ईस्ट की राजनैतिक पार्टियों को मैनेज करने को कहा गया है. बिल के खिलाफ असम में विरोध शुरू हो गया है. लेकिन असम गण परिषद के इकलौते सांसद ने राज्य सभा में समर्थन का भरोसा दिया है. केन्द्रीय राज्य मंत्री वी मुरलीधरन बीजेपी सांसदों पर काम रहे हैं. वोटिंग के दौरान पार्टी के सभी सांसद मौजूद रहें. ये सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है. बीजेपी के एमपी अनिल बलूनी बीमार हैं. वे वोटिंग में नहीं आ सकते हैं. उधर कांग्रेस के मोतीलाल वोरा भी बीमारी के चलते संसद नहीं आ रहे हैं. बीजेपी का समर्थन करते रहे निर्दलीय सांसद अमर सिंह भी वोटिंग के दौरान गैर हाजिर रहेंगे. बीजेपी के रणनीतिकारों का दावा है कि बहुमत का इंतजाम हो गया है. एक बड़े नेता का दावा है कि बिल के समर्थन में 125 वोट पड़ेंगे. ये भी बताया जा रहा है कि कुछ छोटी पार्टियां सदन का वाक आउट भी कर सकती हैं.


लेकिन शिव सेना ने मोदी सरकार की बेचैनी बढ़ा दी है. लोकसभा में बिल का समर्थन करने के बाद पार्टी का मन बदलने लगा है. कांग्रेस और एनसीपी इस बिल के विरोध में हैं. इन्हीं पार्टियों के साथ मिल कर शिव सेना महाराष्ट्र में सरकार चला रही हैं. बिल का समर्थन करने के बाद शिवसेना पर सवाल उठने लगे हैं. पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत कहते हैं “ जो हुआ, उसे भूल जाइये”. राज्य सभा में शिव सेना के 3 सांसद हैं. पार्टी सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने कहा जब तक चीजें साफ नहीं हो जातीं वे इस बिल पर केंद्र सरकार का समर्थन नहीं करेंगे. ठाकरे जानना चाहते हैं कि शरणार्थी कहां रहेंगे. अब इस बदले हालात में बिल पास कराने में सरकार को दिक्क्त आ सकती है.


नागरिकता संशोधन बिल के साथ


बीजेपी -83 ( अनिल बलूनी सदन में नहीं रहेंगे )
जेडीयू - 6
अकाली दल - 3
वाईएसआर कांग्रेस - 2
एलजेपी- 1
आरटीआई -1
बीजेडी - 7
निर्दलीय -3
मनोनीत - 3
एआईएडीएमके - 11
असम गण परिषद -1
पीएमके - 1
एनपीएफ - 1
कुल -123


नागरिकता संशोधन बिल के ख़िलाफ़
कांग्रेस - 46
टीएमसी - 13
समाजवादी पार्टी - 9
बीएसपी - 4
एनसीपी- 4
आरजेडी - 4
सीपीएम - 4
सीबीआई - 1
आम आदमी पार्टी - 3
पीडीपी - 2
केरल कांग्रेस - 1
मुस्लिम लीग -1
डीएमके - 5
निर्दलीय - 1
मनोनीत -1
टीआरएस - 6


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