नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन विधेयक पर लोकसभा में चर्चा के दौरान शिवसेना के सुर विधेयक के समर्थन में सुनाई दिए. हालांकि शिवसेना की तरफ से विधेयक के कुछ प्रावधानों पर सवाल उठाए गए. शिवसेना नेता विनायक राउत ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हुए शरणार्थियों का मतलब समझ में आता है. अफगानिस्तान का क्या महत्व है हमारी समझ में नहीं आया है. शिवसेना की तरफ से राउत ने मांग की कि शरणार्थियों को नागरिक बनाने के बावजूद अगले 25 साल तक वोटिंग राइट नहीं देना चाहिए.
विनायक राउत ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के लोग जो भूमि पुत्र हैं, ये परेशानी है कि उनके पास रोजगार नहीं है. उन्हीं राज्यों में अगर नागरिकता संशोधन विधेयक सरकार नहीं रखना चाहती हैं तो फिर बाकी राज्यों में रखने का क्या मतलब है. उन्होंने कहा, जब धारा 370 हटाई गई शिवसेना की तरफ से हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया. क्या सरकार बताएगी जम्मू-कश्मीर में भारत के दूसरे राज्यों से कितने लोग सेटल हुए, कितने लोगों को वहां रोजगार मिला? सिर्फ कानून बनाने से कुछ नहीं होगा. सबसे बड़ी बात है कि वहां के कश्मीरी पंडितों का पुनर्वसन होना चाहिए.
राउत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के बाद कश्मीरी पंडितों की संपत्ति उनको वापस मिलनी चाहिए. उसके लिए सरकार को प्रावधान करना चाहिए. उन्होंने कहा, जो बाहर से शरणार्थी है उनका पुनर्वासन करें लेकिन उनके आने की वजह से देश के भूमि पुत्रों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. उसके लिए सरकार को इस विधेयक में कानून बनाना चाहिए. शिवसेना की मांग है कि ऐसे शरणार्थियों को नागरिक बनाने के बावजूद अगले 25 साल तक वोटिंग राइट नहीं देना चाहिए और साथ में अफगानिस्तान के लोगों को नागरिक नहीं बनाना चाहिए.
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