नई दिल्लीः लंबे समय से चर्चा में चल रहे नागरिकता संसोधन बिल को लोकसभा में पास कर लिया गया है. बिल के पक्ष में 311 मत पड़े. जबकि विपक्ष में केवल 80 मत ही पड़े. इससे पहले अमित शाह ने बिल की बारीकियों का जिक्र करते हुए साफ किया कि इस बिल से इस देश के मुसलमानों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. क्योंकि यह बिल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए लाया गया है.


गृहमंत्री अमित शाह ने कहा की ऐसा प्रचारित किया जा रहा है कि यह बिल देश के मुसलमानों के खिलाफ है. लेकिन यह प्रचार बिल्कुल भ्रामक है. सदन में वोटिंग के दौरान मजेदार बात यह रही की शिवसेना और जेडीयू ने भी इस बिल का समर्थन करते हुए बिल के पक्ष में वोट किया. जिससे कांग्रेस को झटका मिलता नजर आ रहा है.


इससे पहले लोकसभा में बिल को अमित शाह ने जब पेश किया तो जमकर हंगामा हुआ. बिल पेश हुआ तब दिनभर इस पर चर्चा की गई. करीब 48 नेताओ ने इस बिल पर अपना मत रखा. कांग्रेस, टीएमसी, एआईएमआईएम, डीएमके, बीएसपी समेत एसपी जैसे दलों ने इस बिल का विरोध किया. इस बीच कई बार दोनों तरफ से तीखी प्रतिक्रियाएं हुई.


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सभी की बातें सुनने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने जवाब देना शुरू किया. उन्होंने कहा कि यह बिल नरक से मुक्ति दिलाने जा रहा है. मै सभी की बातों का जवाब दूंगा. किसी भी प्रकार का भ्रम नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि किसी भी डाईमेंसन से यह बिल गैर संवैधानिक नहीं है. इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ है. इसलिए मुझे यह बिल लेकर आने की जरूरत पड़ी.


उन्होंने 1950 में हुए नेहरू लियाकत समझौते का भी जिक्र किया. कहा वह समझौता धरा का धरा रह गया. नेहरू-लियाकत समझौता 1950 इसमें तय हुआ था कि दोनों देश अपने-अपने देश के अल्पसंख्यकों का ध्यान रखेगा. पर ये समझौता धरा का धरा रह गया.


उन्होंने सवाल खड़े करते हुए कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से अल्पसंख्यक गए कहा. पाकिस्तान में 23 फीसदी से घटकर 3.4 फीसदी रह गए. जबकि बांग्लादेश में 22 फीसदी से घटकर 7.8 फीसदी रह गए. जो अल्पसंख्यक पाकिस्तान या बांग्लादेश से भागकर आये. वो घुसपैठिया नहीं है. वो शरणार्थी हैं.


नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा से पास, पक्ष में 311 जबकि विपक्ष में 80 वोट पड़े


रिफ्यूजी के लिए अलग से कानून बनाने की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा किसी रेफ्यूजी पॉलिसी की जरूरत नहीं है, पर्याप्त कानून हैं. धर्म के आधार पर देश का विभाजन कांग्रेस ने स्वीकार किया था ये एक एतिहासिक सत्य है.


जब जिन्ना ने टू नेशन की बात प्रचारित किया तो कांग्रेस ने उसे क्यों स्वीकार किया. धर्म के आधार देश का बंटवारा क्यों हुआ? उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए इस देश में किसी भी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. जो वोट बैंक के लिए घुसपैठियों को शरण देना चाहते हैं उनको जरूर ट्रैप लगेगा.


अमित शाह ने कहा कि इस सदन को मैं साफ करना चाहता हूं कि जब हम एनआरसी लेकर आएंगे तो एक भी घुसपैठिया बच नहीं पाएगा. उन्होंने कांग्रेस को सांप्रदायिक पार्टी करार देते हुए कहा कि कांग्रेसी ऐसी सांप्रदायिक पार्टी है जिसके साथ केरल में इनके साथ मुस्लिम लीग पाटनर है और महाराष्ट्र में इनके साथ शिवसेना पार्टनर है.


एनआरसी को लेकर बैकग्राउंड बनाने की बात पर अमित शाह ने कहा कि हमेशा एनआरसी को लेकर बैकग्राउंड बनाने की हमें जरूरत नहीं है. क्योंकि, हम बिल्कुल स्पष्ट हैं एनआरसी होकर रहेगा.


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