भारत के प्रधान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को जस्टिस हिमा कोहली की तारीफ करते हुए कहा कि वह न सिर्फ एक महिला जस्टिस हैं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों की प्रखर रक्षक भी हैं.


प्रधान जस्टिस ने जस्टिस कोहली के सम्मान में एक रस्मी पीठ की अध्यक्षता के दौरान यह टिप्पणी की. जस्टिस कोहली एक सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाली हैं.


अब सुप्रीम कोर्ट में दो महिला जज

जस्टिस कोहली शीर्ष अदालत के जस्टिसों में वरिष्ठता के क्रम में नौवें स्थान पर थीं. उनकी सेवानिवृत्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट में केवल दो महिला जस्टिस- जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, रह जाएंगी.


जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “जस्टिस कोहली के साथ बैठना सुखद रहा. हमने बहुत गंभीर विचारों और दृष्टिकोण का आदान-प्रदान किया. कई बार ऐसा हुआ, जब उन्होंने मेरा समर्थन किया. हिमा, आप सिर्फ एक महिला जस्टिस ही नहीं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों की प्रखर रक्षक भी हैं.”


अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि जस्टिस कोहली ने अपना पूरा जीवन न्याय के लिए समर्पित कर दिया.


जस्टिस कोहली के दयालु और नरम पक्ष के गवाह बने- तुषार मेहता

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “हमने हमेशा पीठ का बहुत सख्त रूप देखा, लेकिन हम जस्टिस कोहली के बहुत नरम, मानवीय और दयालु पक्ष के भी गवाह बने. उन्हें उनके फैसलों के लिए हमेशा याद किया जाएगा. जहां भी जरूरत पड़ी, उन्होंने करुणा के साथ न्याय दिया.”


‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि शीर्ष अदालत की जस्टिस के रूप में जस्टिस कोहली का कार्यकाल बहुत छोटा था. उन्होंने कहा कि जस्टिस कोहली की निगाहें सख्त हैं, लेकिन दिल सहानुभूतिपूर्ण है.


सिब्बल ने कहा, “मैं हमेशा अपने सहकर्मियों से कहता हूं कि जब हम अदालत जाएं, तो जानें कि हमारा जस्टिस कौन है. जब हम आपकी अदालत में आते हैं और आप चश्मे से नजर उठाकर हमें देखती हैं, तो हम जान जाते हैं कि हम संकट में हैं. आप एक खुशमिजाज जस्टिस रही हैं. कोई भी आपसे चालाकी नहीं कर सकता, कोई भी आपको ‘गुगली’ नहीं डाल सकता.”


दो सितंबर 1959 को दिल्ली में जन्मी जस्टिस कोहली ने सेंट थॉमस स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की और फिर सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री ली. इतिहास में ही परास्नातक करने के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय, कैंपस लॉ सेंटर में एलएलबी पाठ्यक्रम में दाखिला ले लिया. वर्ष 1984 में उन्होंने एलएलबी की डिग्री हासिल की.


2006 में हाईकोर्ट की जज बनीं कोहली

वह 1999 से 2004 तक दिल्ली हाईकोर्ट में नई दिल्ली नगरपालिका परिषद की स्थायी वकील और कानूनी सलाहकार थीं. जस्टिस कोहली ने 2004 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में पंजीकरण कराया. उसी साल दिसंबर में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार का अतिरिक्त स्थायी वकील (दीवानी) नियुक्त किया गया.


जस्टिस कोहली को 29 मई 2006 को दिल्ली हाईकोर्ट के अतिरिक्त जस्टिस के रूप में नियुक्त किया गया और 29 अगस्त 2007 को उन्होंने स्थायी जस्टिस के रूप में शपथ ली. ग्यारह अगस्त 2017 को वह पश्चिम बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज, कोलकाता की आम परिषद की सदस्य के रूप में नियुक्त की गईं.


जस्टिस कोहली को सुप्रीम कोर्ट के 23 मार्च 2020 के आदेश के अनुसार, कोविड-19 महामारी के प्रकोप के मद्देनजर सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों की जेल में भीड़ कम करने के लिए 26 मार्च 2020 को गठित एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.


उन्होंने सात जनवरी 2021 को तेलंगाना उच्च न्यायालय की मुख्य जस्टिस के रूप में शपथ ली थी. इकत्तीस अगस्त 2021 को वह सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस नियुक्त की गई थीं.