CJI DY Chandrachud Retirement: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ रविवार (10 नवंबर 2024) को रिटायर हो रहे हैं. जस्टिस संजीव खन्ना कल सोमवार (11 नवंबर, 2024) को अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे. उससे पहले 8 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में विदाई समारोह रखा गया. इस दौरान उन्होंने अपने पिता, पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाईवी चंद्रचूड़ के साथ पुणे में एक फ्लैट को लेकर हुई बातचीत का किस्सा सुनाया. साथ ही अपने परिवार,प्राइवेट लाइव्स से जुड़े कई बातें शेयर कीं और अपने अनुभव बताए.
दरअसल, अपने विदाई भाषण में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने पिता के साथ पुणे में एक फ्लैट के बारे में हुई बातचीत को याद करते हुए कहा कि "मेरे पिता ने पुणे में एक छोटा सा फ्लैट खरीदा था, जिस पर मैंने उनसे पूछा, 'आप पुणे में फ्लैट क्यों खरीद रहे हैं? आप वहां कब रहने वाले हैं?' उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे पता है कि मैं वहां कभी नहीं रहने वाला, मुझे यकीन नहीं है कि मैं तुम्हारे साथ कब तक रहूंगा, लेकिन इस फ्लैट को तब तक रखो जब तक तुम एक जज के तौर पर रिटायर नहीं हो जाते" .
'अपने सिद्धांत से समझौता मत करना'
CJI ने आगे कहा कि जब मैंने पूछा ऐसा क्यों, तो उन्होंने कहा "ताकि तुम्हें पता हो कि अगर तुम्हारी नैतिकता पर कोई आंच आए, तो तुम्हारे पास सिर छुपाने की जगह होगी." CJI ने आगे कहा कि मेरे पिता ने कहा था "वकील या जज रहते हुए कभी भी ये सोचकर अपने सिद्धांत से समझौता मत करना कि तुम्हारे पास अपना घर नहीं है."
मुझे बीमार पड़ने की आदत थी- CJI
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उनके पिता बहुत अनुशासित थे. उन्होंने कहा, "लेकिन उन्होंने हमें बचपन में अनुशासन नहीं सिखाया. उन्हें लगा कि जिस तरह से उन्होंने अनुशासित जीवन जिया, उसे देखते हुए हमें अनुशासन के आदर्शों को सीखना चाहिए." वहीं, अपनी मां को याद करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "मैं एक बीमार बच्चा था, मुझे बीमार पड़ने की आदत थी और मेरी मां ने मुझे ठीक करने के लिए रात-रात भर जागकर गुजारी होगी. मुझे आज भी उनकी यह बात याद है, जब मैं बड़ा हो रहा था, तो उन्होंने मुझसे कहा, 'मैंने तुम्हारा नाम धनंजय रखा है, लेकिन 'धन' का मतलब भौतिक धन नहीं है, मैं चाहती हूं कि तुम ज्ञान अर्जित करो.' बता दें कि मुख्य न्यायाधीश की मां प्रभा चंद्रचूड़ ऑल इंडिया रेडियो के लिए शास्त्रीय संगीतकार थीं.
ये भी पढ़ें: 'पंडित पूजा करके दक्षणा न लें तो...', पादरियों की सैलरी पर CJI चंद्रचूड़ ने क्यों कही ये बात?