(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Winter Vacation: विंटर ब्रेक के दौरान नहीं होगी कोई वेकेशन बेंच, कानून मंत्री के सवालों के बीच CJI ने किया एलान
Supreme Court: चीफ जस्टिस की ओर से विंटर वेकेशन घोषित करने से एक दिन पहले ही कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने अदालतों की लंबी छुट्टियों पर सवाल उठाया था.
Supreme Court Winter Vacation: जजों की नियुक्ति और कोलेजियम सिस्टम को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के बीच मदभेद देखने को मिल रहे हैं. दोनों अपने-अपने स्तर से तर्क देने में लगे हैं. इस बीच अब अदालतों में छुट्टियों को लेकर भी दोनों के विचार एक-दूसरे से बिल्कुल हैं. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में शीतकालीन अवकाश घोषित कर दिया है.
चीफ जस्टिस ने शुक्रवार को कहा, "शीतकालीन अवकाश के दौरान 17 दिसंबर से 1 जनवरी तक सुप्रीम कोर्ट की कोई बेंच उपलब्ध नहीं होगी. शीर्ष अदालत अब 2 जनवरी को फिर से खुलेगी." चीफ जस्टिस की ओर से विंटर वेकेशन घोषित करने से एक दिन पहले ही कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने अदालतों की लंबी छुट्टियों पर सवाल उठाया था.
अब दो जनवरी को खुलेगी सुप्रीम कोर्ट
कानून मंत्री ने गुरुवार (15 दिसंबर) को ही राज्यसभा में कहा था, "अदालतों में बहुत छुट्टियां होती हैं, जिसकी वजह से न्याय की मांग करने वालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है." कानून मंत्री की इस टिप्पणी के अगले ही दिन चीफ जस्टिस ने तकरीबन 15 दिन की छुट्टियां घोषित कर दीं. सीजेआई चंद्रचूड़ ने अदालत कक्ष में मौजूद वकीलों को बताया, "17 दिसंबर से 1 जनवरी तक कोई बेंच उपलब्ध नहीं होगी."
आवश्यकता पर गठित हो सकती है पीठ
चीफ जस्टिस ने कहा, "क्रिसमस और नए साल के शीतकालीन अवकाश के दौरान कोई अवकाश पीठ नहीं होगी. हालांकि, किसी भी जरूरी मामले में अवकाश अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है और यदि आवश्यक हो तो एक पीठ का गठन किया जाएगा." बता दें कि वेकेशन बेंच का गठन केवल लंबी गर्मी की छुट्टियों के दौरान किया जाता है.
'छुट्टियों पर भी काम करते हैं जज'
अदालतों की लंबी छुट्टियों पर केंद्रीय कानून मंत्री के बयान का पूर्व जस्टिस ने भी खंडन किया. पूर्व सीजेआई एनवी रमना सहित न्यायाधीशों ने कहा, "यह गलत धारणा है कि न्यायाधीश बहुत आराम में रहते हैं और अपनी छुट्टियों का आनंद लेते हैं." उन्होंने कहा था, "वीकऑफ और अदालती छुट्टियों के दौरान भी जज, लंबित फैसलों को लिखने और नए मुकदमों पर रिसर्च करने का काम जारी रखते हैं. इस प्रक्रिया में, वो अपने जीवन की कई खुशियों को खो देते हैं."