Chief Justice of India D Y Chandrachud: देश के मुख्‍य न्‍यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार (23 मार्च, 2024) को बेंगलुरु में न्यायिक अधिकारियों (Judicial Officers) के द्विवार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन क‍िया. सीजेआई चंद्रचूड़ ने सम्‍मेलन का शुभारंभ करते हुए एक हालिया घटना का भी ज‍िक्र क‍िया जोक‍ि खुद उनकी कोर्ट की सुनवाई से जुड़ी थी. मुख्‍य न्‍यायाधीश ने बताया क‍ि सुनवाई के दौरान अपनी सीट‍िंग पोज‍िशन को स‍िर्फ 'अनुकूल' करने की वजह से सोशल मीड‍िया पर उनको 'ट्रोलिंग' और 'भयंकर' दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा.  


एचटी की र‍िपोर्ट के मुताब‍िक, चीफ जस्‍ट‍िस ने न्यायिक अधिकारियों के सम्मेलन को संबोध‍ित करते हुए कहा, "अभी 4 या 5 दिन पहले जब मैं एक मामले की सुनवाई कर रहा था, तो अचानक मेरी पीठ में थोड़ा दर्द हो गया था. इसलिए मैंने कोर्ट में अपनी कोहन‍ियां ऑर्मचेयर (कुर्सी) के ऊपर रख लीं थीं. इस दौरान मैंने स‍िर्फ कुर्सी पर अपनी पोज‍िशन में बदलाव क‍िया था. मैंने उस समय जो क‍िया वो यह सब कुछ ही था.''  


कोर्ट से उठने का दावा कर बताया था 'अहंकारी'  


सीजेआई ने कोर्ट सुनवाई के दौरान के वाक्‍या को बताते हुए कहा कि कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने उनको 'अहंकारी' करार दे द‍िया और दावा क‍ि वो (डी वाई चंद्रचूड़) कोर्ट में इतनी अहम बहस के बीच में उठ गए थे. 


'स‍िर्फ कुर्सी पोज‍िशन बदलने को क‍िया था ये सब' 


मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने अफसोस जताते हुए यह भी कहा कि इस दौरान यह नहीं बताया कि उन्होंने (सीजेआई) जो कुछ क‍िया था वो स‍िर्फ अपनी कुर्सी की पोज‍िशन बदलने के ल‍िए क‍िया था. 24 साल तक मैंने जो न्‍याय‍ का काम क‍िया है वो थोड़ा मुश्‍क‍िल हो सकता है, लेक‍िन, मैंने कोर्ट नहीं छोड़ी. स‍िर्फ पोज‍िशन श‍िफ्ट करने की वजह से मुझको इस भीषण दुर्व्यवहार, ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ा था.  


'कोर्ट के काम पर आम लोगों को पूरा भरोसा'  


सीजेआई चंद्रचूड़ ने अनुचित प्रतिक्रिया के बावजूद आम लोगों की पूरी लगन और न‍िष्‍ठा के साथ सेवा करने की न्यायपालिका की प्रतिबद्धता का भरोसा जताया. उन्होंने यह भी कहा कि हमारे कंधे काफी चौड़े हैं और हम जो काम करते हैं उसमें आम नागरिकों का पूरा भरोसा है. 


'कोर्ट में दलील देते समय सीमा लांघ जाते कई बार वादी' 


न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि मैंने बहुत से वकीलों और वादियों को देखा है, जब वे कोर्ट में दलील देते समय सीमा लांघ जाते हैं. न्यायाधीश के रूप में हमारे साथ व्यवहार करते हुए कभी-कभी वो सीमा लांघ जाते हैं. उस वक्‍त वादी के सीमा करने का जवाब यह नहीं होता क‍ि अदालत की अवमानना की शक्‍ति का प्रयोग क‍िया जाए बल्‍क‍ि यह समझना होता है क‍ि उन्होंने यह सीमा क्‍यों क्रॉस की है. 


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