'अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में 80 दिन होता है काम', जजों को मिलने वाली लंबी छुट्टियों पर CJI चंद्रचूड़ ने कही ये बात
CJI Dhananjaya Y Chandrachud: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कोलेजियम सिस्टम पर खुलकर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम सिस्टम में योग्यता ही प्रमुख पैमाना है.
CJI Statement On Collegium System: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कोलेजियम सिस्टम का बचाव किया. उन्होंने शनिवार (18 मार्च) को कोलेजियम सिस्टम को लेकर कहा कि कोई भी सिस्टम सबसे बेहतर नहीं है, लेकिन जो हमने विकसित किया है वो अच्छा है. उन्होंने कहा कि कोलेजियम सिस्टम इस वजह से तैयार किया गया था कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता एक प्रमुख मूल्य है और न्यायपालिका के स्वतंत्र बने रहने के लिए बाहरी प्रभावों से बचना होगा.
इसी के साथ इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोलेजियम सिस्टम में योग्यता ही प्रमुख पैमाना है, जो वरिष्ठता के साथ क्षेत्रीय और हाईकोर्ट में व्यापक प्रतिनिधित्व के लिए लिंग, हाशिये पर रखे गए समुदायों और अल्पसंख्यकों को शामिल करने पर विचार करता है. उन्होंने कहा कि न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया को पारदर्शी होना चाहिए, जिससे लोगों में न्यायपालिका के काम पर भरोसा बढ़े.
सुप्रीम कोर्ट की लंबी छुट्टियों पर कही ये बात
भारत के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के जजों को मिलने वाली लंबी ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन छुट्टियों पर कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के जज एक साल में 200 दिनों (करीब साढ़े 6 महीने) तक कोर्ट का काम करते हैं. जो अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में 80 दिन है. ऑस्ट्रेलिया की सुप्रीम कोर्ट में भी 100 से कम दिन है. ब्रिटेन और सिंगापुर की सुप्रीम कोर्ट में 145 दिन काम होता है.
सीजेआई ने बताया- कैसे काम करता है कोलेजियम
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम सबसे पहले जज की पेशेवर क्षमता का आकलन करने के लिए योग्यता देखते हैं. दूसरी कसौटी वरिष्ठता है, क्योंकि न्याय करना सेवा है. इसमें समावेश की भावना का भी ध्यान रखा जाता है, जिसके लिए हम लिंग, हाशिये पर पड़े समुदायों - अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यकों को न्यायपालिका में लाने के लिए समान अवसर देते हैं, लेकिन यह सब योग्यता से समझौता किए बिना होता है. आखिरी कसौटी को लेकर सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के लिए नियुक्तियां करते समय हम तय करते हैं कि अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों के हाईकोर्ट को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की कोशिश हो.
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