महीने भर में सुप्रीम कोर्ट से 12 बड़े फैसले, 1 अक्टूबर को रिटायर हो रहे चीफ जस्टिस ने की है सुनवाई
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा रिटायर होने वाले हैं, एक अक्टूबर को उनके कार्यकाल का आखिरी दिन है. रिटायरमेंट से पहले जस्टिस मिश्रा एक दर्जन बड़े फैसले देकर जाएंगे.
नई दिल्ली: न्यायपालिका के इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों के लिए 29 और 30 जुलाई 2015 के बीच की रात को भुला पाना नामुमकिन है. 30 की सुबह 1993 मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी होनी थी. देर रात इसे टलवाने के लिए हलचल शुरू हुई. रात के करीब 3 बजे जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच बैठी. साढ़े 4 बजे तक सुनवाई की. फिर लगभग आधे घंटे तक विस्तार से फैसला सुनाया. सुबह 4.56 पर जज फांसी रोकने की मांग खारिज कर उठे.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा रिटायर होने वाले हैं, एक अक्टूबर को उनके कार्यकाल का आखिरी दिन है. रिटायरमेंट से पहले जस्टिस मिश्रा एक दर्जन बड़े फैसले देकर जाएंगे. जस्टिस दीपक मिश्रा ने बहुत कम वक्त में लगातार सुनवाई कर कई ऐसे मामलों का निपटारा किया है जो कई सालों तक खिंच सकते थे. इसमें उन्हें अपने सहयोगी जजों का पूरा साथ मिला.
आइए जानते हैं उन मामलों के बारे में जिनका फैसला चीफ जस्टिस रिटायर होने से पहले देकर जाने वाले हैं:-
1. 5 साल से ज़्यादा की सजा वाली धारा में आरोप तय होने पर चुनाव लड़ने पर पाबंदी की मांग. अपराधियों को टिकट देने वाली पार्टियों की मान्यता रद्द करने की मांग की गई है.
2. सुप्रीम कोर्ट/हाई कोर्ट की कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग. अदालतों से भीड़ कम करने और लोगों तक कोर्ट की सुनवाई की सीधी जानकारी पहुंचाने के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है
3. व्यभिचार यानी एडल्ट्री को अपराध करार देने वाली IPC की धारा 497 पर. इस कानून में एडल्ट्री के लिए सिर्फ पुरुष को सज़ा देने का प्रावधान है. धारा ये भी कहती है कि पति की इजाज़त से गैर मर्द से संबंध बनाए जा सकते हैं. ये एक तरह से पत्नी को पति की संपत्ति करार देने जैसा है.
4. केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मसला. मंदिर में विराजमान भगवान अयप्पा को ब्रह्मचारी माना जाता है. वहां 10 से 50 साल की महिलाओं के जाने पर पाबंदी है.
5. समलैगिंकता को अपराध करार देने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर. कोर्ट से मांग की गई है कि दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से एकांत में बने समलैंगिक संबंध को अपराध न माना जाए
6. आधार कार्ड योजना की वैधता को चुनौती. याचिकाओं में आधार को निजता के अधिकार का हनन बताया गया. सरकारी योजनाओं के लिए इसे अनिवार्य बनाए जाने को चुनौती दी गई है
7. अयोध्या मामले पर भी कोर्ट को अहम आदेश देना है. कोर्ट को तय करना है कि नमाज पढ़ने के लिए मस्ज़िद की अनिवार्यता का सवाल संविधान पीठ को भेजा जाए या नहीं. मुस्लिम पक्ष की मांग है कि भूमि विवाद पर सुनवाई से पहले इस पहलू पर विचार किया जाए
8. सांसदों/विधायकों को बतौर वकील प्रैक्टिस करने से रोकने की मांग. याचिका में कहा गया है कि सांसद सरकारी तनख्वाह और सुविधाएं लेते हैं. संसद में कानून बनाते हैं. उनका वकालत करना नैतिक रूप से गलत है
9. दहेज उत्पीड़न मामलों में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक के खिलाफ दायर याचिका. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने ही आदेश दिया था कि IPC 498A यानी दहेज उत्पीड़न की शिकायत पहले फैमिली वेलफेयर कमिटी देखे. ज़रूरत पड़ने पर ही गिरफ्तारी हो. कोर्ट को बताया गया है कि इस फैसले के चलते देश भर में दहेज उत्पीड़न के मामलों में गिरफ्तारी बंद हो गयी है
10. हिंसक भीड़ से सरकारी/निजी संपत्ति को होने वाले नुकसान पर सुप्रीम कोर्ट दिशानिर्देश जारी करेगा. कोर्ट को बताया गया है कि देश में हर हफ्ते कहीं न कहीं उत्पात होता है. पुलिस और उपद्रवियों की जवाबदेही तय करनी ज़रूरी है
इसके अलावा दो और अहम मामले हैं, जिन पर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच में सुनवाई आखिरी दौर में है. इन पर भी अगले 1 महीने में फैसला आने की उम्मीद है :-
11. बोहरा मुस्लिम समुदाय में औरतों का खतना करने की प्रथा को चुनौती. कोर्ट को बताया गया है कि ये प्रथा महिलाओं की गरिमा का हनन है. इसे धर्म का हिस्सा मान कर जारी नहीं रहने दिया जा सकता
12. एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण का मामला. कोर्ट को तय करना है कि प्रमोशन में आरक्षण में अड़चन बनने वाले 2006 के 'नागराज बनाम भारत सरकार' फैसले पर दोबारा विचार हो या नहीं. इस फैसले में कोर्ट ने बिना ज़रूरी आंकड़े जुटाए प्रमोशन में आरक्षण को गलत कहा था
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