यौन संबंध के लिए पत्नी को मजबूर करने वाले पति को रेप केस से मिली छूट हो जाएगी खत्म? CJI चंद्रचूड़ ने कहा- हम सुनवाई को तैयार
भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत भी एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौनाचार बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है, बशर्ते वह नाबालिग नहीं है.
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सुप्रीम कोर्ट मंगलवार (16 जुलाई, 2024) को उन याचिकाओं को सुनवाई के लिए तैयार हो गया है कि क्या अपनी बालिग पत्नी को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने वाले पति को बलात्कार के अपराध वाले मुकदमे से छूट मिलनी चाहिए. मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि याचिकाओं पर सुनवाई की जाएगी. उन्होंने संकेत दिया कि उन पर 18 जुलाई को सुनवाई हो सकती है.
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा ने एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की दलीलों का संज्ञान लिया कि संबंधित याचिकाओं को कुछ प्राथमिकता दी जानी चाहिए. हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत भी एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौनाचार बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है, बशर्ते वह नाबालिग नहीं है.
बीएनएस की धारा 63 (बलात्कार) के अपवाद-दो में कहा गया है कि किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौनाचार बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है, यदि पत्नी की उम्र 18 साल से कम नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने 16 जनवरी, 2023 को भारतीय दंड संहिता के संबंधित प्रावधान पर आपत्ति जताने वाली कई याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था, जिसके तहत बालिग पत्नी से जबरन यौन संबंध बनाने के मामले में पति को अभियोजन से छूट प्राप्त है.
कोर्ट ने 17 मई को इस मुद्दे पर बीएनएस के प्रावधान को चुनौती देने वाली एक समान याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था. नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, एक जुलाई से प्रभावी हुए हैं, जिन्होंने पुराने आपराधिक कानूनों का स्थान लिया है.
कोर्ट ने कहा था, 'हमें वैवाहिक बलात्कार से संबंधित मामलों को सुलझाना है.' इससे पहले, केंद्र ने कहा था कि इस मुद्दे के कानूनी और सामाजिक निहितार्थ हैं और सरकार इन याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करना चाहेगी. इनमें से एक याचिका इस मुद्दे पर 11 मई, 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट के खंडित फैसले से संबंधित है. यह अपील एक महिला द्वारा दायर की गई है, जो हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं में से एक थी.
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