CJI DY Chandrachud: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार (26 अगस्त) को एक घटना को याद करते हुए कहा कि कानूनी पेशे में समावेशिता लाना जरूरी है. उन्होंने घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक इंटर्न के सुपरवाइजर ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जब उसकी जाति का पता चला.


बेंगलुरु में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू) के 31वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “जब मैंने ये सुना तो मैं निशारा से भर गया. एक वकील के रूप में हम समाज और इसके अन्याय के प्रति गहराई से जागरूक हैं. संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने का हमरा कर्तव्य अन्य नागरिकों से ज्यादा है. ये घटना दिखाती है कि कुछ वकील संवैधानिक मूल्य को बनाए रखना तो दूर वो कानून का उल्लंघन कर रहे हैं.”


सीजेआई ने लॉ स्टूडेंट्स से किया आग्रह


लाइव लॉ के मुताबिक, सीजेआई ने छात्रों से आग्रह करते हुए कहा, “जब आपके पास मौका है तो दूसरों को भी आगे बढ़ाएं. आप चाहे किसी भी तरह के वकील बनें लेकिन इस पेशे को और अधिक समावेशी बनाने में अपना योगदान दें.”


उन्होंने लैंगिग रूढ़िवादिता से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट की हाल ही में जारी की गई हैंडबुक पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हमें किसी महिला को हाउस वाइफ क्यों नहीं कहना चाहिए या फिर पवित्र और रशिश जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर हमने अपने जजों को संवेदनशील बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ये अब आधुनिक भारत में स्वीकार्य क्यों नहीं है इस पर हमने अपने जजों को संवेदनशील बनाने की कोशिश की है.”


लाइव लॉ के मुताबिक उन्होंने आगे कहा, “सुप्रीम कोर्ट में शुरू की गई इन सभी पहलों में हम आधुनिक भारत और सामाजिक परिवर्तन की आपकी आकांक्षाओं से प्रेरित हैं.” इसके साथ ही सीजेआई ने छात्रों से कहा कि अगर कभी भी ऐसी स्थिति आए कि पहले क्या बनना है एक अच्छा इंसान या फिर अच्छा वकील तो पहले अच्छे इंसान बनें.


उन्होंने कहा, “अगर सफल होने की कीमत ये होती है कि हमें अपने मूल्यों को त्यागना होगा, अपनी अंतरात्मा के खिलाफ काम करना होगा या अन्याय के प्रति उदासीन रहना होगा तो कीमत चुकाने के लिए अधिक है.”


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