मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ बुधवार (7 अगस्त, 2024) को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश पर बेहद नाराज हो गए. सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच ने आदेश में हाईकोर्ट की कठोर टिप्पणियों पर संज्ञान लेते हुए इसकी आलोचना की. आदेश में एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट खुद को सुप्रीम मानती है और हाईकोर्ट को कम मानती है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस पर कहा कि इन टिप्पणियों से हमें दुख पहुंचा है.


सीजेआई चंद्रचूड़, जस्टिस भूषण रामाकृष्णन गवई, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पांच सदस्यीय बेंच ने आदेश पर संज्ञान लिया. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने कई चीजों को लेकर असामान्य ऑब्जर्वेशन किए हैं.


पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए स्टे ऑर्डर पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट खुद को उनकी तुलना में ज्यादा सुप्रीम मानती है और हाईकोर्ट को कम उच्च समझती है. इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि न तो सुप्रीम कोर्ट और न ही हाईकोर्ट सुप्रीम हैं. सर्वोच्चता वास्तव में संविधान की है.


17 जुलाई को नौटी राम बनाम देवेंद्र सिंह आईएएस और अन्य से जुड़े मामले में हाईकोर्ट ने कहा था कि उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश से संबंधित अदालती अवमानना कार्यवाही के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है. सिंगल बेंच के जस्टिस राजबीर सेहरावत मामले की सुनवाई कर रहे थे और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को लेकर कुछ कठोर टिप्पणियां की थीं. उन्होंने कहा कि शायद सुप्रीम कोर्ट की ओर से अधिक सावधानी बरतना ज्यादा उचित होता. 


जस्टिस राजबीर सेहरावत हरियाणा के सोनीपत के जागसी गांव से हैं. साल 2001 से 2004 के बीच वह हरियाणा के वरिष्ठ महाधिवक्ता के तौर पर कार्यरत रहे और साल 2017 में उन्हें हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट में एडिशनल जस्टिस के तौर पर नियुक्त कर दिया गया था.


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