Supreme Court: पिता की कौन सी बात सुनकर खुशी से खिल उठे CJI चंद्रचूड़? जिरह के बीच सीनियर एडवोकेट ने सुनाया 48 साल पुराना वाकिया
सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट ने पूर्व सीजेआई वाई. वी. चंद्रचूड़ से जुड़ा एक वाकिया सुनाते हुए कहा कि उनके मुंह से अपना नाम सुनकर वह आत्मविश्वास से भर गए और केस पर 5-10 मिनट लगातार बहस की.
CJI D. Y. Chandrachud: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (11 जुलाई, 2024) को कुछ ऐसा हुआ कि सबको 48 साल पुराना किस्सा याद आ गया. कोर्ट में सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन ने मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के पिता वाई. वी. चंद्रचूड़ को याद करते हुए एक किस्सा सुनाया तो सीजेआई चंद्रचूड़ भी खुश हो गए. कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद नहीं थे इसलिए सीजेआई ने तुषार मेहता के जूनियर राजू रामचंद्रन को जिरह शुरू करने के लिए कह दिया.
तुषार मेहता किसी दूसरी कोर्ट से आ रहे थे. जब तुषार मेहता कोर्ट में पहुंचे तो सीजेआई चंद्रचूड़ ने उनसे कहा, 'एसजी महोदय, अपने जूनियर को जिरह करने दीजिए.' इस वाकिए से राजू रामचंद्रन को 48 साल पुराना ऐसा ही किस्सा याद आ गया.
जिरह के दौरान राजू रामचंद्रन ने कहा, 'इस घटना ने मुझे 48 साल पुराने एक वाकिए की याद दिला दी है. तब बेंच में जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ थे और मुझे वकालत करते हुए सिर्फ दो महीने ही हुए थे. मैं अदालत में पेश हुआ था. मैं पूरी तरह नर्वस था, जस्टिस वाई. वी. चंद्रचूड़ ने अपीयरेंस स्लिप पर नजर डाली और कहा- तो हां, रामचंद्रन जी... उनके मुंह से यह सुनते ही मुझे जबरदस्त आत्मविश्वास मिला था और मैंने एक मामूली केस में पांच-दस मिनट तक बहस कर दी थी.' यह किस्सा सुनकर सीजेआई चंद्रचूड़ ने सीनियर एडवोकेट रामचंद्रन से कहा, 'शुक्रिया.'
वाई. वी. चंद्रचूड़ 22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई 1985 तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे. उनका जन्म 12 जुलाई, 1920 को हुआ था. उन्होंने पूना के नूतन मराठी विद्यालय से पढ़ाई की और फिर 1940 में मुंबई के एफिंस्टोन कॉलेज से हिस्ट्री और इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन की और फिर पूना के यूनिवर्सिटी ऑफ बॉम्बे से एलएलबी की पढ़ाई की.
पूर्व सीजेआई वाई. वी. चंद्रचूड़ को साल 1961 में बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज के तौर पर नियुक्त किया गया और इसके बाद 21 दिसबंर 1961 को उनकी नियुक्ति परमानेंट जज के तौर पर कर दी गई. इसके बाद 28 सितंबर 1972 को उनकी सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति कर दी गई और 6 साल बाद मुख्य न्यायाधीश बने.
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