CJI DY Chandrachud Remarks: भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार (21 अप्रैल) को कहा, ''हम यहां वकीलों की रिवेन्यू पैदा करने के लिए नहीं बैठे है.'' एक वकील की ओर से केस की ऑर्डर शीट में नाम शामिल करने के लिए जोर देने पर सीजेआई ने यह टिप्पणी की. महिला वकील की ओर से कहा गया कि वह पहले मामले में पेश हुई थीं. वकील के जोर देने पर सीजेआई ने आपत्ति जताई.
SC बेंच ने यह कहा
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर वकील वास्तव में मामले में पेश नहीं हुआ या हुई तो अदालतें उसकी उपस्थिति को चिन्हित नहीं कर सकती हैं. इसके बावजूद वकील ने जोर दिया.
CJI क्या बोले?
सीजेआई यह कहते हुए ऑर्डर शीट में नाम दर्ज करने से मना कर दिया कि उन्हें याद है कि मामले में कौन पेश हुआ था और अदालत वकीलों के लिए राजस्व (आय) पैदा करने के लिए नहीं है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ''सॉरी मैम. मुझे याद है कि मामले में कौन पेश हुआ था. हम यहां वकीलों की रेवेन्यू पैदा करने के लिए नहीं बैठे हैं. सॉरी. हम इसे नहीं करेंगे.''
सीजेआई वाली बेंच ने गोधरा ट्रेन अग्निकांड के 8 दोषियों को दी जमानत
उधर शुक्रवार (21 अप्रैल) को ही 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए आठ लोगों को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने जमानत दे दी.
बेंच ने कहा कि सत्र न्यायालय की ओर से लगाए गए नियमों और शर्तों के अधीन दोषियों को जमानत पर रिहा किया जाए. सुप्रीम कोर्ट से राहत पाने वाले आठ दोषियों में अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी असला, यूनुस अब्दुल हक्क समोल, मोहम्मद हनीफ अब्दुल्ला मौलवी बादाम, अब्दुल रऊफ अब्दुल मजीद ईसा, इब्राहिम अब्दुलरजाक अब्दुल सत्तार समोल, अयूब अब्दुल गनी इस्माइल पटालिया, सोहेब यूसुफ अहमद कलंदर और सुलेमान अहमद हुसैन शामिल हैं.
इन चार दोषियों को नहीं मिली जमानत
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों को जमानत देने से मना कर दिया. इन चार दोषियों के नाम- अनवर मोहम्मद मेहदा, शौकत अब्दुल्ला मौलवी इस्माइल बादाम, महबूब याकूब मिथा और सिद्दीक मोहम्मद मोरा हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता गुजरात सरकार का पक्ष रखते हुए घटना में चारों दोषियों की भूमिका को उजागर करते हुए उनकी जमानत याचिकाओं का विरोध किया था.
बता दें कि गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती ट्रेन की एस-6 बोगी में आग लगाए जाने से 59 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद राज्य के कई हिस्सों में दंगे भड़क गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2017 के अपने फैसले में गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में 11 दोषियों को दी गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. वहीं, 20 अन्य को दी गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा गया था.
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