'जमानत याचिकाओं से भर गई हैं अदालतें', CJI चंद्रचूड़ ने बताया बेल देने से आखिर क्यों झिझकते हैं निचली अदालतों के जज
CJI DY Chandrachud: सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालतों के जज जमानत देने से झिझकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि ऐसा नहीं है कि उन्हें मामलों की समझ नहीं है.
Supreme Court CJI: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का पूरा फोकस लोगों को कम समय में न्याय देने पर है. वह अपने पूर्ववर्ती जस्टिस यूयू ललित की तरह ही सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग केस के बढ़ते बोझ को कम करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं. सीजेआई चंद्रचूड़ ने हाल ही में रोजाना 70 हजार पेंडिंग मामलों को निपटाने का तरीका खोजा है. उन्होंने नियम बनाया है कि अब सुप्रीम कोर्ट की सभी 13 बेंच के सामने हर दिन 10-10 जमानत याचिका और 10-10 ट्रांसफर केस की सुनवाई के लिए लिस्ट होंगी.
सीजेआई ने कहा, 'निचली अदालतों की ओर से जमानत न देने की वजह से उच्च अदालतें जमानत याचिकाओं से भर गई हैं. निचली अदालतों के जज जमानत देने से झिझकते हैं. ऐसा नहीं है कि उन्हें मामलों की समझ नहीं है, बल्कि वे जघन्य अपराधों में जमानत देने से निशाना बनाए जाने से घबराते हैं.' सीजेआई चंद्रचूड़ ने ये बातें दिल्ली बॉर काउंसिग ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित सम्मान समारोह में कहीं. इस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी शामिल हुए थे.
Higher judiciary is flooded with bail applications due to reluctance at grassroots to grant bail. Judges at grassroots are reluctant to grant bail not because they don't understand crime, but there's sense of fear of being targetted for granting bail in heinous case: CJI (19.11) pic.twitter.com/jLLFzaTaY7
— ANI (@ANI) November 20, 2022
पेंडिंग केस को लेकर CJI गंभीर
इससे पहले सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट की हर बेंच में रोजाना 10-10 जमानत याचिकाओं और 10-10 ट्रांसफर केस पर सुनवाई करने का नियम बनाया है. इससे सर्वोच्च न्यायालय में हर दिन बेल और केस ट्रांसफर से जुड़े 130-130 मामलों की सुनवाई होगी. एक ही सप्ताह में 650-650 पेंडिंग मामलों की सुनवाई हुआ करेगी. इससे सर्वोच्च अदालत में पेंडिंग मामलों में कमी आएगी.
पेंडिंग केस निपटाने का आसान उपाय
उन्होंने कहा था कि एक राज्य से दूसरे राज्य में केस ट्रांसफर करने की मांग वाली 3,000 से ज्यादा याचिकाएं लंबित पड़ी हैं. इनमें से ज्यादातर तो शादी से जुड़े विवादों की हैं. उन्होंने कहा था कि यदि हर बेंच हफ्ते में 650 मामलों की सुनवाई करेगी, तो एक साल में इन सारे मामलों की सुनवाई हो जाएगी. इससे पेंडिंग केसों का निपटारा करने में आसानी मिलेगी और लोगों को न्याय मिलने में दिक्कत भी नहीं होगी.
पूर्व CJI ने भी यही काम किया था
बता दें कि पूर्व सीजेआई यूयू ललित भी पेंडिंग केस निपटाने के लिए जोर देते थे. चीफ जस्टिस के रूप में अपने 74 दिनों के छोटे से कार्यकाल में ही उन्होंने पेंडिंग केसों को निपटाने के लिए कई नियम बनाए थे. उन्होंने हर रोज सुनवाई के लिए मामलों की संख्या काफी बढ़ा दी थी. हालांकि इससे जजों पर काम का बोझ बहुत ज्यादा पड़ गया था. जस्टिस संजय कौल की अगुवाई वाली बेंच ने तो 13 सितंबर को यहां तक कह दिया था कि इस नियम से नए मामलों को सुनने का वक्त नहीं मिल रहा है.
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