(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
हल्के वाहन लाइसेंस के साथ 7,500 Kg की गाड़ियां भी चला सकते हैं? इस सवाल पर CJI चंद्रचूड़ ने क्या कहा
अटॉर्नी जनरल वेंकटमरणी ने पीठ को बताया कि मोटर वाहन (MV) अधिनियम, 1988 में संशोधन के लिए परामर्श लगभग पूरा हो चुका है, जिसे अभी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जाना है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस कानूनी सवाल पर बुधवार (21 अगस्त, 2024) को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया कि क्या हल्के मोटर वाहन (LMV) के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति 7,500 किलोग्राम से कम वजन वाले परिवहन वाहन को चलाने का भी हकदार है. इस कानूनी सवाल ने एलएमवी लाइसेंसधारकों के परिवहन वाहनों से संबंधित दुर्घटना मामलों में बीमा कंपनियों की ओर से दावों के भुगतान को लेकर विभिन्न विवादों को जन्म दिया है.
बीमा कंपनियों का आरोप है कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) और अदालतें हल्के मोटर वाहन ड्राइविंग लाइसेंस के संबंध में उनकी आपत्तियों की अनदेखी करते हुए उनसे बीमा दावों का भुगतान कराने के लिए आदेश पारित कर रही हैं. बीमा कंपनियों ने कहा है कि बीमा दावा विवादों का फैसला करते समय अदालतें बीमाधारकों के पक्ष में रुख अपना रही हैं.
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रखने से पहले केंद्र की ओर से अदालत में पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और अन्य की दलीलें सुनीं. अटॉर्नी जनरल वेंकटमरणी ने पीठ को बताया कि मोटर वाहन (MV) अधिनियम, 1988 में संशोधन के लिए परामर्श लगभग पूरा हो चुका है.
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधनों को अभी संसद में पेश किया जाना है और अब यह संसद के शीतकालीन सत्र में ही किया जा सकता है. इससे पहले, पीठ ने केंद्र की इन दलीलों का संज्ञान लेने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी थी कि एमवी अधिनियम में संशोधन करने वाला विधेयक संसद में पेश किया जाएगा. हालांकि, बाद में कोर्ट ने मामले की सुनवाई का फैसला किया.
कोर्ट के समक्ष विचाराधीन कानूनी प्रश्न है, 'क्या एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंसधारक उस लाइसेंस के आधार पर हल्के मोटर वाहन वर्ग के उस परिवहन वाहन को चलाने का हकदार हो सकता है जिसका भार 7,500 किलोग्राम से अधिक न हो.' इस प्रश्न को जस्टिस यू. यू. ललित (रिटायर्ड) की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने आठ मार्च, 2022 को बृहद पीठ को हस्तांतरित कर दिया था. यह प्रश्न मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले से उत्पन्न हुआ था.
मुकुंद देवांगन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि ऐसे परिवहन वाहन जिसका कुल भार 7,500 किलोग्राम से अधिक नहीं है, एलएमवी की परिभाषा से बाहर नहीं हैं. इस निर्णय को केंद्र ने स्वीकार कर लिया और नियमों को फैसले के अनुरूप संशोधित किया गया. पिछले साल 18 जुलाई को संविधान पीठ ने इस कानूनी सवाल से निपटने के लिए कुल 76 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी. मुख्य याचिका मेसर्स बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की ओर से दायर की गई थी.