मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार (19 अक्टूहर, 2024) को कहा कि सभी प्रकार की अपमानजनक भाषा का, विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ, अदालतों में कोई स्थान नहीं है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि असंवेदनशील शब्द रूढ़िवादिता को बढ़ावा दे सकते हैं और महिलाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं.


सीजेआई चंद्रचूड़ ने प्रशासनिक प्रतिष्ठान के कुछ सदस्यों की ओर से महिलाओं के प्रति अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल के बारे में महिला न्यायिक अधिकारियों की शिकायतों का उल्लेख किया. पणजी के निकट उत्तरी गोवा जिला न्यायालय परिसर के उद्घाटन के मौके पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्चूड़ ने कहा, 'हमें न्याय तक वास्तविक लोकतांत्रिक पहुंच बनाने के लिए सभी बाधाओं को दूर करने के वास्ते सक्रिय रूप से काम करना चाहिए.'


मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, 'जैसा कि हम अपने न्यायालयों में समावेशिता के लिए प्रयास करते हैं, हम जिस भाषा का उपयोग करते हैं, वह हमारे लोकाचार को प्रतिबिंबित करना चाहिए. हमें शब्दों के चयन में सतर्क रहना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारी भाषा न केवल सटीक हो बल्कि सम्मानजनक और समावेशी भी हो.'


उन्होंने कहा, 'अक्सर मैं महिला न्यायिक अधिकारियों से यह शिकायत सुनता हूं कि प्रशासनिक प्रतिष्ठान के कुछ सदस्य महिलाओं के प्रति अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी प्रकार की अपमानजनक भाषा का, विशेषकर महिलाओं के प्रति, हमारे न्यायालयों में कोई स्थान नहीं होना चाहिए. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालतों में प्रयुक्त भाषा में समावेशिता, सम्मान और सशक्तीकरण झलकना चाहिए.


उन्होंने कहा कि पीठ के सदस्यों, विशेषकर जिला स्तर के न्यायिक अधिकारियों को कानूनी विमर्श को उन्नत बनाने के मूल नियमों को याद रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि कानूनी पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम यह सुनिश्चित करना है कि निर्णय और आदेश सभी क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध हों.


मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, 'मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का कोंकणी भाषा में भी अनुवाद किया जा रहा है. इस प्रक्रिया में तेजी लानी होगी. मुझे विश्वास है कि बम्बई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश यह सुनिश्चित करेंगे कि बम्बई उच्च न्यायालय के फैसलों का भी ऐसी भाषा में अनुवाद किया जाए जिसे राज्य के लोग समझ सकें.'


'न्याय की देवी' की मूर्ति में बदलाव का उल्लेख करते हुए सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि कानून अंधा नहीं है और यह सभी को समान दृष्टि से देखता है. उन्होंने कहा कि न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी हटा दी गई है, जिसका अर्थ निष्पक्षता है. उन्होंने कहा, 'आखिरकार, कानून अंधा नहीं है. यह सभी को समान रूप से देखता है और सामाजिक वास्तविकताओं के प्रति समान रूप से जागरूक है.'


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