देशभर की अदालतों में लंबित करीब साढ़े चार करोड़ मामलों को लेकर मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि खाली पड़े पदों को जल्दी भरना होगा. उन्होंने न्यायिक सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर की भर्ती प्रक्रिया की वकालत करते हुए रविवार (1 सितंबर, 2024) को कहा कि अब समय आ गया है कि क्षेत्रवाद और राज्य-केंद्रित चयन की संकीर्ण दीवारों से आगे बढ़ा जाए. इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद थी. उन्होंने भी पेंडिंग केस और तारीख-पर-तारीख की संस्कृति को बदलने पर जोर दिया.


देशभर की अदालतों में इस वक्त 4.5 करोड़ मामले पेंडिंग हैं. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि बड़ी संख्या में लंबित मामलों से निपटने के लिए कुशल कर्मियों को आकर्षित करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने देशभर में भर्ती कैलेंडर के मानकीकरण की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि खाली पड़े पद जल्दी भर जाएं.


चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, 'वर्तमान में हम 95 फीसदी की दर से मुकदमों का निपटारा कर रहे हैं. इतनी प्रगति के बावजूद भी लंबित मामलों का निपटारा एक चुनौती बनी हुई है.' उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर 28 फीसदी न्यायिक कर्मियों के पद खाली हैं, जबकि नॉन-ज्यूडिशियल कर्मचारियों के खाली पद 27 फीसदी हैं. उन्होंने कहा कि मामलों के निपटारे की संख्या को संस्था की क्षमता से अधिक करने के लिए कोर्ट को 71 फीसदी से 100 फीसदी की क्षमता से अधिक कार्य करना होगा.


सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, 'खाली पदों को भरने के लिए, सम्मेलन में जजों के चयन के मानदंडों और सभी रिक्तियों के लिए भर्ती कैलेंडर के मानकीकरण पर विचार-विमर्श किया गया. अब समय आ गया है कि क्षेत्रवाद और राज्य-केंद्रित चयन की संकीर्ण दीवारों के पार न्यायिक सेवाओं में सदस्यों की भर्ती करके राष्ट्रीय एकीकरण के बारे में सोचा जाए.' उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का अनुसंधान और योजना केंद्र, राज्य न्यायिक अकादमी में राज्य स्तरीय प्रशिक्षण मॉड्यूल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ एकीकृत करने के लिए एक श्वेत पत्र तैयार कर रहा है. 


मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'वर्तमान में राज्य न्यायिक अकादमियों में कुछ में मजबूत पाठ्यक्रम हैं, जबकि अन्य नए योग्य न्यायाधीशों को कानून विषयों के साथ फिर से जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, हम न्यायिक प्रशिक्षण के लिए एक व्यवस्थित, राष्ट्रव्यापी पाठ्यक्रम स्थापित करने और अपनी प्रगति की निगरानी के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने की प्रक्रिया में हैं.'


उन्होंने कहा, 'नए पाठ्यक्रम में नवीन प्रशिक्षण पद्धतियां, विषयगत ढांचा, प्रशिक्षण कैलेंडर में एकरूपता, न्यायिक प्रशिक्षण को सूचना प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत करना, ज्ञान अंतराल को भरने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी का पुनर्गठन और सबसे महत्वपूर्ण रूप से फीडबैक और मूल्यांकन पद्धति स्थापित करने का वादा किया गया है.' मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय मुहैया करना अदालतों द्वारा नागरिकों, विशेषकर सबसे कमजोर लोगों को प्रदान की जाने वाली एक आवश्यक सेवा है.


यह भी पढ़ें:-
Sunjwan Military Station Attack: जम्मू में आतंकियों की कायराना हरकत, सुंजवान आर्मी कैंप पर की फायरिंग, एक जवान घायल