Supreme Court Judge Farewell: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कृष्णन मुरारी की फेयरवल में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ काफी शायराना अंदाज में नजर आए. एक शायरी और बशीर बद्र की कविता की दो लाइनें बोलते हुए उन्होंने अपने पुराने साथी जस्टिस कृष्णन को विदाई दी. उन्होंने जस्टिस मुरारी के साथ बिताए हुए अपने पुराने दिनों को याद किया और उनके काम की तारीफ भी की.
फेयरवेल पर सीजेआई की शायरी
सीजेआई ने अपनी स्पीच में जस्टिस कृष्णन मुरारी के काम, तजुर्बों और सुनवाई के दौरान उनके द्वारा लिए गए फैसलों की तारीफ की. बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सीजेआई ने कहा, "मुसाफिर हैं हम भी, मुसाफिर हो तुम भी, किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी." उन्होंने आगे कवि बशीर बद्र की कविता की दो लाइनें भी कहीं और पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा, "आपके साथ कुछ लम्हे कई यादें बतौर इनाम मिले, एक सफर पर निकले और तुजुर्बे तमाम मिले." उन्होंने आगे कहा कि जस्टिस मुरारी हमेशा शांत रहते हैं, और यह गुण जज के लिए सटीक बरताव को बताता है.
जब सीजेआई ने किया था ग्रीन बेंच का ऐलान, जस्टिस मुरारी ने भी ताजा की पुरानी यादें
अपनी फेयरवल स्पीच में जस्टिस मुरारी ने भी मुख्य न्यायाधीश की तारीफें कीं और उनके द्वारा उठाए गए कदमों और फैसलों की भी सराहना की. उन्होंने सीजेआई द्वारा लिए गए पेपरलैस सुनवाई के फैसले का जिक्र करते हुए कहा, "जब मैं संवैधानिक बेंच के साथ बैठा था और सीजेआई ने अचानक से घोषणा की कि यह अब से ग्रीन बेंच होगी. तो मैंने उनके काम में धीरे से कहा कि मुझे कंप्यूटर के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता और उन्होंने मुझसे कहा- मैं सिखा दूंगा."
उन्होंने आगे बताया, "मेरे लिए पहला दिन बेहद मुश्किल भरा था क्योंकि मैं कंप्यूटर ऑपरेट ही नहीं कर पा रहा था. इसके बाद भाई नरसिम्हा ने अपना आईपैड मेरी तरफ किया ताकि में देख सकूं. इसके बाद मैंने अपने क्लर्क से मुझे गाइड करने को कहा और इस तरह मैं ग्रीन संवैधानिक बेंच में शामिल हो सका."
कई मामलों में अहम फैसला दे चुके हैं जस्टिस मुरारी
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कृष्णन मुरारी संवैधानिक बेंच में रहते हुए कई फैसलों का हिस्सा रह चुके हैं. इनमें अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग से जुड़ा दिल्ली बनाम केंद्र मामला है. पिछले साल महाराष्ट्र की राजनीति में आए उथल-पुथल पर कोर्ट के फैसले में भी जस्टिस मुरारी शामिल थे, जिसमें फ्लोर टेस्ट में शामिल हुए बिना ही उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के कारण महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी.