Artificial intelligence: 'चर्चा होने लगी है, AI पर भरोसा किया जाए या नहीं', आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर और क्या बोले सीजेआई चंद्रचूड़?
CJI DY Chandrachud: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल को लेकर भारत समेत दुनिया भर में चर्चा है. इस बीच चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इसके इस्तेमाल को लेकर बयान दिया है.
CJI DY Chandrachud On AI: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार (13 अप्रैल) को कहा कि आधुनिक प्रक्रियाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल से ऐसे जटिल नैतिक, कानूनी और व्यावहारिक विषय खड़े होते हैं, जिनकी व्यापक समीक्षा की जरूरत है. चीफ जस्टिस ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इनोवेशन की अगली सीमा तक ले जाती है और कोर्ट के फैसले की प्रक्रिया में उसका इस्तेमाल अवसर और चुनौतियों दोनों ही पेश करता है, जिन पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता है.
एआई के इस्तेमाल पर क्या बोले सीजेआई?
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "एआई अप्रत्याशित मौके प्रस्तुत करती है, लेकिन साथ ही, वह खासकर नैतिकता, जवाबदेही और पक्षपात से संबंधित कई चुनौतियां भी खड़ी करती है. इन चुनौतियों के समाधान के लिए भौगोलिक और संस्थानों की सीमाओं से परे वैश्विक पक्षों की ओर से बड़ी कोशिश की जरूरत है."
चीफ जस्टिस भारत और सिंगापुर के सुप्रीम कोर्ट के बीच प्रौद्योगिकी एवं संवाद विषयक दो दिवसीय सम्मेलन में बोल रहे थे. सिंगापुर के चीफ जस्टिस सुंदरीष मेनन, कई अन्य जज और विशेषज्ञ इस सम्मेलन में मौजूद थे. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानूनी क्षेत्र में भी, कानूनी शोध से लेकर मामला विश्लेषण तक और कोर्ट की कार्यवाही की कार्यकुशलता तक, जिस तरह कानूनी पेशेवर काम करते हैं, उनमें बदलाव लाने में एआई में बहुत संभावना है.
चीफ जस्टिस बोले- एआई गेम चेंजर
उन्होंने कहा कि कानूनी शोध के क्षेत्र में एआई गेम चेंजर बनकर उभरी है और उसने कानूनी पेशेवरों को असाधारण कार्यकुशलता और सटीकता प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाया है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चैटजीपैट के आने से यह चर्चा होने लगी है कि किसी मामले में निष्कर्ष पर पहुंचने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर भरोसा किया जाए या नहीं.
उन्होंने कहा, ‘‘ये घटनाएं दर्शाती हैं कि हम कोर्ट के निर्णय की प्रक्रिया में एआई के इस्तेमाल के प्रश्न को टाल नहीं सकते. कोर्ट की कार्यवाही समेत आधुनिक प्रक्रियाओं में एआई के इस्तेमाल से ऐसे नैतिक, कानूनी और व्यावहारिक विषय खड़े होते हैं, जिन पर रिसर्च की जरूरत है.’’