CJI Chandrachud on Collegium: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में कोई भी संस्था पूर्ण नहीं है और इसका समाधान मौजूदा व्यवस्था के भीतर काम करना है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने ये बातें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में कहीं. इस कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री किरेन रिरिजू भी मौजूद थे. कार्यक्रम में भारतीय संविधान पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम का शुभारंभ भी किया गया.


प्रधान न्यायाधीश ने अपने भाषण में कहा कि कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना होती है, लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि सभी जज संविधान के सिपाही हैं. उन्होंने कहा कि लोगों का हित सिर्फ जनहित याचिका से नहीं होता है, बल्कि इस बात से होता है कि न्याय तक सभी की पहुंच हो. उन्होंने कहा कि लोग सार्वजनिक सेवाओं के प्रति प्रतिबद्धता की भावना के लिए न्यायाधीश बनते हैं. जज बनना अंतरात्मा की पुकार है.


कॉलेजियम से नहीं पड़ेगा प्रभाव- CJI


सीजेआई ने कहा कि अच्छे वकीलों को न्यायपालिका में प्रवेश दिलाना केवल कॉलेजियम में सुधार करने का कार्य नहीं है. न्यायाधीश बनाना इससे जुड़ा नहीं है कि कितना वेतन आप न्यायाधीशों को देते हैं. आप न्यायाधीशों को कितना भी अधिक भुगतान करें, यह एक दिन में एक सफल वकील की कमाई का एक अंश होगा. उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि युवा वकीलों को न्यायाधीशों द्वारा सलाह दी सही सलाह जाए.


कोई भी संस्था पूर्ण नहीं है- प्रधान न्यायधीश


सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि मैंने सोचा था कि मैं आखिरी (चीज) के लिए सर्वश्रेष्ठ आरक्षित रखूंगा. संवैधानिक लोकतंत्र में कोई भी संस्था परिपूर्ण नहीं है, लेकिन हम संविधान के मौजूदा ढांचे के भीतर काम करते हैं. मेरे सहित कॉलेजियम के सभी न्यायाधीश, हम संविधान को लागू करने वाले वफादार सैनिक हैं. जब हम खामियों की बात करते हैं, तो हमारा समाधान है- मौजूदा व्यवस्था के भीतर काम करना. उन्होंने कहा कि संवैधानिक लोकतंत्र में कॉलेजियम ही नहीं बल्कि कोई भी संस्था पूर्ण नहीं है.


कानून मंत्री ने उठाए थे कॉलेजियम पर सवाल


बता दें कि इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम प्रणाली पर सवाल उठाए थे. कानून मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि कॉलेजियम प्रणाली संविधान के प्रति ‘सर्वथा अपिरचित’ शब्दावली है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने विवेक से एक अदालती फैसले के जरिए कॉलेजियम का गठन किया. उन्होंने कहा कि अदालतों या कुछ न्यायाधीशों के फैसले के कारण कोई भी चीज संविधान के प्रति सवर्था अपरिचित हो सकती है. ऐसे में आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि उस फैसले का देश समर्थन करेगा. 


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