SBI Electoral Bonds Case: 'चिल्लाइए मत', इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने क्यों कही ये बात?
Electoral Bonds: वरिष्ठ अधिवक्ता नेदुम्पारा चुनावी बॉन्ड मामले में हस्तक्षेप करना चाहते थे. कोर्ट ने वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष की दलीलें सुनने से भी इनकार कर दिया.
SBI Electoral Bonds Case: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (18 मार्च) को चुनावी बॉन्ड मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई. याचिकाओं में तर्क दिया गया था कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने चुनावी बांड मामले में ऐतिहासिक फैसले के बाद अधूरा डेटा उपलब्ध कराया है. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कई उत्तेजक व तीखे तर्क का आदान प्रदान हुआ जिससे कोर्ट रूम में कार्यवाही बेहद गरम हो गयी. इनमें एक मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और वरिष्ठ अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्पारा के बीच का खास रहा.
वरिष्ठ अधिवक्ता नेदुम्पारा चुनावी बॉन्ड मामले में हस्तक्षेप करना चाहते थे. उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि चुनावी बॉन्ड मामला कतई भी न्यायसंगत मुद्दा नहीं था. उन्होंने कहा, "यह एक नीतिगत मामला था और इसमें कोर्ट का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए था. इस कारण लोगों को लगता है कि यह निर्णय उनके पीठ पीछे दिया गया है."
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कई बार रुककर सुनने का किया आग्रह
वरिष्ठ अधिवक्ता नेदुम्पारा के लगातार बोलते रहने पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की ओर से उनको रुककर सुनने का आग्रह किया जाता रहा, लेकिन वह अपनी दलीलें लगातार रखते रहे. उन्होंने (नेदुम्पारा) यह भी कहा, "मैं इस देश का नागरिक हूं.''
इस सबके बाद मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ कुछ सख्त दिखे और उन्होंने कहा, "एक सेकंड, मुझ पर चिल्लाओ मत.'' यह कोर्ट है यहां पर उत्तेजित होने की जरूरत नहीं है. सीजेआई के सख्त रूख को देखते हुए नेदुम्पारा ने रिप्लाई करते हुए कहा, "नहीं, नहीं, मैं बेहद नरम हूं."
'यह कोई हाइड पार्क कॉर्नर मीटिंग नहीं'
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने आगे यह भी कहा, "यह कोई हाइड पार्क कॉर्नर मीटिंग नहीं है, आप कोर्ट में हैं. आप अप्लीकेशन फाइल करना चाहते हैं तो आवेदन दायर करें. हम आपकी बातों को नहीं सुन रहे हैं. आपको मुख्य न्यायाधीश के रूप में मेरा आदेश मिल गया होगा. अगर आप अप्लीकेशन फाइल करना चाहते हैं तो इसको ईमेल पर भेजिए. कोर्ट का यही नियम है.
इस दौरान सीनियर एडवोकेट नेदुम्परा अपनी दलीलें देते रहे तो न्यायमूर्ति बीआर गवई ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, ''आप न्याय प्रशासन की प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं."
नेदुम्पारा की दलीलों से पीठ के रूख में नहीं आया कोई बदलाव
बावजूद इसके अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्पारा बोलते रहे. इस पर पीठ ने कहा, ''जब तक आप निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करेंगे तब तक हम आपकी बात नहीं सुनेंगे. नेदुम्पारा ने यह भी कहा कि वे एक आवेदन दाखिल करेंगे और वो नाइट की फ्लाइट से दिल्ली पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे प्रति नरम रहे, लेकिन पीठ के रूख में कोई बदलाव इन दलीलों को रखने पर नहीं देखा गया.
मुकुल रोहतगी व आदिश अग्रवाल की दलीलों को भी नहीं सुनी
कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल की दलीलों को भी सुनने से इनकार कर दिया है जोकि सुनवाई के दौरान हस्तक्षेप करना चाहते थे. पीठ ने वकील मैथ्यूज नेदुम्पारा को 2019 के उस मामले की भी याद दिलाई जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उनको (नेदुम्पारा) को अवमानना का दोषी ठहराया था.