'कोर्ट केसों से लोग इतना त्रस्त हो चुके हैं कि...', ऐसा क्यों बोले CJI डीवाई चंद्रचूड़? जानिए
CJI DY Chandrachud: सीजेआई ने कहा कि लोग तंग आकर अदालत के बाहर समझौता कर लेते हैं. कोर्ट की इस तरह की प्रक्रिया ही एक सजा है, जो जजों के लिए चिंता का विषय है.
DY Chandrachud On Court Cases: देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार (3 अगस्त) को अदालतों में न्याय पाने के लिए सामना की जाने वाली परेशानियों पर ध्यान दिया. उन्होंने कहा कि लोग अदालतों के मामलों से इतने तंग आ चुके हैं कि वे बस समझौता चाहते हैं. लोक अदालतें ऐसे मंच हैं जहां अदालतों में लंबित या मुकदमेबाजी से पहले के विवादों और मामलों का सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटारा या समझौता किया जाता है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने आगे कहा कि आपसी सहमति से हुए समझौते के खिलाफ कोई अपील दायर नहीं की जा सकती. चीफ जस्टिस ने कहा, "लोग इतना परेशान हो जाते हैं कोर्ट के मामलों से वो कोई भी समझौता चाहते हैं. बस कोर्ट से दूर करा दीजिए. यह प्रक्रिया ही सजा है और यह हम सभी न्यायाधीशों के लिए चिंता का विषय है."
‘लोक अदालत में बार एसोशिएसन के सदस्य भी शामिल किए गए’
उन्होंने कहा कि लोक अदालत के आयोजन में उन्हें हर स्तर पर बार और बेंच सहित सभी से अपार समर्थन और सहयोग मिला. सीजेआई ने कहा कि जब लोक अदालत के लिए पैनल गठित किए गए थे तो यह सुनिश्चित किया गया था कि प्रत्येक पैनल में दो जज और बार के दो सदस्य शामिल होंगे.
उन्होंने कहा, "ऐसा करने के पीछे उद्देश्य अधिवक्ताओं को संस्था पर स्वामित्व देना था, क्योंकि यह ऐसी संस्था नहीं है जो केवल न्यायाधीशों से चलाई जाती है और यह न्यायाधीशों की, न्यायाधीशों के लिए, न्यायाधीशों वाली संस्था नहीं है."
#WATCH | Delhi: Chief Justice of India DY Chandrachud addresses the commemoration of the Special Lok Adalat in the Supreme Court of India.
— ANI (@ANI) August 3, 2024
He says, " ...A very senior secretary from the Govt of India and former civil servant...said that he never knew that Supreme Court deals… pic.twitter.com/EtrDgdJIVu
चीफ जस्टिस ने बताया क्यों बनाई गईं लोक अदालतें?
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्हें लगता है कि सुप्रीम कोर्ट भले ही राष्ट्रीय राजधानी में स्थित हो, लेकिन इसे दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट के रूप में नहीं, बल्कि भारत के सुप्रीम कोर्ट के रूप में जाना जाता है. चंद्रचूड़ ने कहा, "लोक अदालत का उद्देश्य लोगों के घरों तक न्याय पहुंचाना और लोगों को यह सुनिश्चित करना है कि हम उनके जीवन में निरंतर मौजूद हैं."
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