CJI को रिटायरमेंट से पहले सताने लगी किस बात की चिंता? जानें क्या है पूर्व PM मनमोहन सिंह से इसका कनेक्शन
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने चीफ जस्टिस के तौर पर अपना कार्यकाल पूरी ईमानदारी से निभाया, लेकिन इसी बीच उनको मनमोहन सिंह वाला डर सताने लगा है.
CJI DY Chandrachud Fear: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट में सिर्फ़ एक महीने का समय बचा है, ऐसे में उन्होंने अपने कार्यकाल के अंतिम चरण के दौरान अपने मन में चल रहे विचारों के बारे में खुलकर बात की. सीजेआई ने कहा कि जैसे-जैसे मेरा कार्यकाल समाप्त हो रहा है, वे इस बात पर विचार कर रहे हैं कि इतिहास उनके सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल को किस तरह देखेगा.
दरअसल, CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने 10 साल पुरानी मनमोहन सिंह वाली वही पुरानी लाइन दोहराई है, जिसमें मनमोहन सिंह के दो प्रधानमंत्री कार्यकाल के बाद 2014 में चुनाव हो रहे थे और ये तय हो गया था कि अगले चुनाव में कांग्रेस मनमोहन सिंह को तीसरी बार पीएम प्रोजेक्ट नहीं कर रही है.
सीजेआई को सता रहा मनमोहन सिंह वाल डर!
उस समय पत्रकारों से बात करते हुए जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से एक सवाल पूछा गया कि आप अपने कार्यकाल का आकलन कैसे करना चाहेंगे? तब तब मनमोहन सिंह बोल पड़े थे कि मुझे भरोसा है कि इतिहास मेरे साथ न्याय करेगा. वही पुरानी लाइन अब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ ने दोहराई है. वो इस बात से चिंतित हैं कि पता नहीं इतिहास उनको कैसे जज करेगा.
बता दें कि सीजेआई यूयू ललित के रिटायरमेंट के बाद 9 नवंबर, 2022 को सीजेआई की भूमिका संभालने वाले जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 को रिटायर होने वाले हैं. उनका दो साल का कार्यकाल पिछले 14 वर्षों में किसी भी सीजेआई का सबसे लंबा कार्यकाल होगा.
'भय और चिंताओं से घिरे रहना'
भूटान के पारो स्थित जेएसडब्ल्यू लॉ स्कूल में आयोजित दीक्षांत समारोह में बोलते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने दिल का राज खोला. उन्होंने अपनी विरासत के बारे में चिंता जताते हुए कहा, "जैसे-जैसे मेरा कार्यकाल समाप्त हो रहा है, मेरा मन भविष्य और अतीत के बारे में भय और चिंताओं से बहुत अधिक घिरा हुआ है. मैं खुद को इस बारे में सोचते हुए पाता हूं. क्या मैंने वह सब हासिल किया जो मैंने करने का लक्ष्य रखा था? इतिहास मेरे कार्यकाल का कैसे मूल्यांकन करेगा? क्या मैं कुछ अलग कर सकता था?"
चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्हें इस बात से सुकून मिलता है कि उन्होंने अपने पद को पूरी लगन से निभाया है, "पिछले दो वर्षों में, मैं हर सुबह इस प्रतिबद्धता के साथ जागता हूं कि मैं अपना काम पूरी तरह से करूंगा और इस संतुष्टि के साथ सोता हूं कि मैंने अपने देश की पूरी लगन से सेवा की है. मैं इसी में संतुष्टी रखता हूं."