CJI ने यूपी के आला अधिकारियों से की मुलाकात, अयोध्या फैसले से पहले सुरक्षा बंदोबस्त की ली जानकारी
दोनों अधिकारी सुबह राजकीय विमान से लखनऊ से दिल्ली के लिए रवाना हुए. करीब 11 बजकर 15 मिनट पर दोनों सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. उन्हें सीधा चीफ जस्टिस के चेंबर की तरफ ले जाया गया.
नई दिल्ली: अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले आज चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी से मुलाकात की. इस मुलाकात में चीफ जस्टिस के साथ अयोध्या मामले पर सुनवाई करने वाले अन्य जज भी शामिल थे. जजों ने इस दौरान यूपी में सुरक्षा इंतजाम की जानकारी ली. साथ ही अधिकारियों से पूछा कि कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए क्या उन्हें कोर्ट से किसी सहयोग की जरूरत है?
आपको बता दें कि चीफ जस्टिस के दफ्तर से यूपी के मुख्य सचिव आर के तिवारी और पुलिस प्रमुख ओपी सिंह को गुरुवार को मुलाकात के लिए बुलावा भेजा गया था. दोनों अधिकारी सुबह राजकीय विमान से लखनऊ से दिल्ली के लिए रवाना हुए. करीब 11 बजकर 15 मिनट पर दोनों सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. उन्हें सीधा चीफ जस्टिस के चेंबर की तरफ ले जाया गया. करीब 11 बजकर 35 मिनट पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस अशोक भूषण ने अधिकारियों के साथ बैठक की.
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लगभग सवा घंटे तक चली इस मुलाकात में जजों ने दोनों अधिकारियों से जाना कि क्या उन्हें फैसले से पहले या उसके बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने के अंदेशा है? इससे निपटने के लिए उन्होंने क्या इंतजाम किए हैं? जवाब में डीजीपी ने अयोध्या और राज्य के दूसरे हिस्सों में पुलिस की तैनाती की जानकारी दी. साथ ही, यह भी बताया कि संवेदनशील जगहों पर पीएसी की तैनाती की जा रही है. मुख्य सचिव ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से अब तक अर्धसैनिक बलों की 40 कंपनियां तरफ से भेजे जाने की भी जानकारी दी.
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अधिकारियों ने आईबी और दूसरे राज्यों से मिल रही खुफिया जानकारियों पर लगातार नजर बनाए रखने के अलावा अपने खुफिया तंत्र (LIU) को पूरी तरह सक्रिय कर दिए जाने के बारे में जजों को बताया. उन्होंने बताया कि होटल, धर्मशाला, रेलवे स्टेशन जैसी जगहों पर लगातार नजर रखी जा रही है। साथ ही, जिन लोगों पर शरारती गतिविधियों का अंदेशा है, उन पर भी लगातार नजर रखी जा रही है. इसके अलावा राज्य में कई जगहों पर इसके लिए अस्थायी जेल का भी बंदोबस्त किया गया है.
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इसके अलावा जजों ने इस बात की जानकारी ली कि सोशल मीडिया पर अफवाह फैलने से रोकने के लिए प्रशासन ने क्या इंतजाम किया है. जजों ने कहा कि लोगों तक फैसले की सही जानकारी पहुंचना सबकी जिम्मेदारी है. साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि लोग फैसले का सम्मान करें. लोगों को अफवाहों से बचने और द्वेष फैलाने वाले मैसेज की जानकारी तुरंत पुलिस को देने के लिए कहा जा रहा है.
मुख्य सचिव ने जजों को बताया कि पुलिस और प्रशासन के अधिकारी लगातार धार्मिक नेताओं और समाज पर असर रखने वाले लोगों से मिल रहे हैं. उनसे फैसले को लेकर लोगों में सकारात्मक नजरिया बनाने का अनुरोध किया जा रहा है. जजों ने इन बातों पर संतोष जताया। साथ ही, यह जानना चाहा कि क्या अधिकारियों को उनसे किसी सहयोग की जरूरत है. जवाब में अधिकारियों ने कुछ सुझाव दिए. अयोध्या पर कोर्ट का फैसला अगले हफ्ते बुधवार, गुरुवार या शुक्रवार को आने की उम्मीद है.