'एक ऐसे लोकतंत्र का निर्माण करें जहां पहचान और विचारों के अंतर का सम्मान हो'- छात्रों से बोले CJI NV Ramana
CJI NV Ramana: चीफ जस्टिस एनवी रमना ने ए नागार्जुन विश्वविद्यालय के 37 वें और 38 वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आप कभी भी अन्याय बर्दाश्त करें.
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CJI NV Ramana: भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना (NV Ramana) ने ए नागार्जुन विश्वविद्यालय के 37वें और 38वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए छात्रों से विशेष आग्रह किया. एनवी रमना ने कहा, 'मैं आप सभी से जीवंतता और आदर्शवाद से भरे लोकतंत्र का निर्माण करने का आग्रह करता हूं, जहां पहचान और विचारों के अंतर का सम्मान किया जाता है. आप कभी भी भ्रष्ट विचारों की अनुमति न दें और न ही अन्याय बर्दाश्त करें.'
शनिवार को देश की उच्च शिक्षा व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा, 'आज कुकुरमुत्ता की तरह तेजी से बढ़ते शिक्षा के कारखानों की वजह से उच्च शिक्षण संस्थान सामाजिक प्रासंगिकता खो रहे हैं.' सीजेआई ने शिक्षा का एक ऐसा मॉडल विकसित करने पर जोर दिया जो छात्रों को वास्तविक जीवन की चुनौतियों का सामना करना सिखाए.
शिक्षा सामाजिक एकजुटता हासिल करने वाली हो
आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय (ANU) से डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि प्राप्त करने के बाद दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की शिक्षा होनी चाहिए जो सामाजिक एकजुटता हासिल करने और आम नागरिक को भी समाज का सार्थक सदस्य बनाने में सहायक हो. बता दें कि सीजेआई ने भी ANU विश्वविद्यालय से ही पढ़ाई की है.
न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि युवाओं को ‘परिवर्तन का प्रबुद्ध वाहक’ बनना चाहिए, जिन्हें विकास के स्थायी मॉडल के बारे में सोचना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘इस चैतन्य को आपके संबंधित क्षेत्रों में अग्रणी होने के दौरान हमारे समुदाय और पर्यावरण की जरूरतों को स्वीकार करना चाहिए.’’ उन्होंने खेद व्यक्त किया कि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का मुख्य केंद्रबिंदु औपनिवेशिक काल की तरह ही एक आज्ञाकारी कार्यबल तैयार करना रह गया है.
शिक्षा व्यवस्था में बदलाव का समय है
सीजेआई ने कहा, ‘‘सबसे कठोर वास्तविकता यह है कि विद्यार्थियों के प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में नामांकन कराने के बाद भी पूरा ध्यान कक्षा-आधारित शिक्षण पर होता है, न कि बाहर की दुनिया पर आधारित.’’ उन्होंने कहा कि मानविकी, प्राकृतिक विज्ञान, इतिहास, अर्थशास्त्र और भाषाओं जैसे समान रूप से महत्वपूर्ण विषयों की भरपूर उपेक्षा होती है. हम शिक्षा के कारखानों में तेजी से वृद्धि देख रहे हैं जो डिग्री और मानव संसाधनों के अवमूल्यन की ओर ले जा रहे हैं. मुझे समझ नहीं आता कि किसे या किस तरह दोषी ठहराया जाए.’’
सीजेआई ने विश्वविद्यालयों और उनके शोध प्रकोष्ठों से देश को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और व्यापक समाधान खोजने का प्रयास करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि सरकार को इस प्रयास में अनुसंधान और नवाचार के लिए आवश्यक धनराशि निर्धारित करके सक्रिय रूप से सहयोग करना चाहिए.
आंध्र प्रदेश के राज्यपाल और एएनयू के कुलाधिपति विश्वभूषण हरिचंदन ने विश्वविद्यालय के 37वें और 38वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की. इस मौके पर शिक्षा मंत्री बी सत्यनारायण, कुलपति पी. राजा शेखर और अन्य ने भाग लिया.
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