NV Ramana: देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) रहे नुतलपति वेंकट रमना (Nutalapathy Venkata Ramana) या एनवी रमना (NV Ramana) शुक्रवार को रिटायर हो गए. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज के रूप में जस्टिस रमना का कार्यकाल 8 साल से अधिक समय तक चला. वह करीब 16 महीने तक मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) के पद पर रहे. मृदु स्वभाव के न्यायमूर्ति रमना को कठोर निर्णय लेने वाले न्यायाधीश के रूप में पहचाना जाता है. अपने कार्यदिवस के अंतिम दिन भी 48वें CJI ने 2018 के फैसले को लागू करके सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग सुनिश्चित कर एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली.


कार्यकाल के आखिरी 48 घंटों में भी मुख्य न्यायाधीश ने कई बड़े मामलों की सुनवाई की. इनमें बिलकिस बानो मामला. पंजाब में पीएम मोदी की सुरक्षा में सेंध मामला सहित पेगासस मामला और ईडी के अधिकारों की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई शामिल है. एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने चुनाव में मुफ्त योजनाओं सहित 2007 में गोरखपुर दंगों, कर्नाटक माइनिंग, राजस्थान माइनिंल लीडिंग और बैंकरप्टी केस पर भी सुनावाई की.


CJI रहे एन वी रमना ने हमेशा पथ-प्रदर्शक न्यायिक और प्रशासनिक निर्णय लिए जिनमें राजद्रोह कानून को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग के फैसले की समीक्षा करना, पेगासस जासूसी और लखीमपुर खीरी मामलों की जांच का आदेश देना और शीर्ष अदालत में रिकॉर्ड 11 न्यायाधीशों व उच्च न्यायालयों में 220 से ज्यादा जजों की नियुक्ति शामिल है.


कॉलेजों के दिनों में छात्र राजानीति से भी जुड़े
27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में जन्मे न्यायमूर्ति रमना ने तटीय आंध्र और रायलसीमा के लोगों के अधिकारों के लिए किशोर आयु में ही जय आंध्र आंदोलन में भाग लिया था. वे अपने कॉलेज के दिनों में छात्र राजनीति से जुड़े रहे और कुछ समय तक पत्रकारिता भी की. रमना  ने फरवरी 1983 में अपनी प्रैक्टिस शुरू की थी और वह आंध्र प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता भी रहे. वे केंद्र सरकार के कई विभागों के वकील भी रहे, 2000 में, वह आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने. 2014 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति से पहले वह दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे.


सीजेआई रहे एनवी रमना ने कौन-कौन से बड़े फैसले लिए



  • 11 मई 2022 को चीफ जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने राजद्रोह कानून यानी आईपीसी की धारा 124A को सुप्रीम कोर्ट ने निष्प्रभावी बना दिया था.

  •  पेगासस मामले में सरकार ने पहले जांच का विरोध किया, बाद में अपनी तरफ से कमेटी बनाने की पेशकश की थी लेकिन जस्टिस रमना के नेतृत्व वाली बेंच ने अपनी तरफ से कमेटी बनाई.

  • बतौर चीफ जस्टिस उनकी सख्ती के चलते लखीमपुर में किसानों की गाड़ी से कुचलकर मौत के मामले में जांच के आदेश दिए गए और आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी हुई.

  • हाल ही में उन्होंने यह फैसला दिया कि बेनामी एक्ट 2016 के प्रावधान पुराने मामलों पर लागू नहीं हो सकते.

  •  सीजआई रहे एनवी रमना ने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की बहाली का आदेश भी दिया था. 

  •  सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों की तेज सुनवाई के लिए हर राज्य में विशेष कोर्ट बनाने का आदेश देने वाली बेंच की अध्यक्षता भी उन्होंने ही की.


ये फैसले भी लिए



  • सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के कार्यालय को सूचना अधिकार कानून (RTI) के दायरे में लाने का फैसला देने वाली बेंच के भी जस्टिस रमना सदस्य रह चुके हैं.

  • जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों की क्यूरेटिव याचिका खारिज की थी. इसके बाद उनकी फांसी का रास्ता साफ हुआ था.

  •  26 नवंबर 2019 को जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने महाराष्ट्र के की देवेंद्र फड़णवीस सरकार को अगले दिन विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था. इसके बाद फड़णवीस सरकार गिर गई थी.


एनवी रमना ने सत्ता पक्ष से लेकर मीडिया को भी लगाई फटकार



  • चीफ जस्टिस रहते हुए एनवी रमना ने मीडिया ट्रायल पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा था कि मीडिया कंगारू कोर्ट लगा लेता है और ऐसे में अनुभवी जजों को भी फैसला लेने में दिक्कत आती है.

  • एनवी रमना ने कहा था कि प्रिंट मीडिया में अभी भी जवाबदेही है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जिम्मेदारी नहीं दिखती है.

  • मीडिया को फटकार लगाते हुए एनवी रमना ने कहा था कि न्याय देने से जुड़े मामलों पर गलत सूचना और एजेंडा चलाने वाली बहस लोकतंत्र की सेहत के लिए काफी हानिकारक साबित हो रही है, आप हमारे लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहे हैं.  

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे एनवी रमना ने एक सुनवाई के दौरान सत्ता पक्ष को भी कड़ी फटकार लगाई थी.

  • एनवी रमना ने कहा था कि सरकारों की तरफ से जजों को बदनाम करने का ट्रेंड शुरू हो गया है जो दुर्भाग्यपूर्ण हैं

  • उस समय चीफ जस्टिस ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई के दौरान ये नाराजगी जाहिर की थी.


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