CJI NV Ramana: चीफ जस्टिस का सियासी दलों पर तंज, कहा- वो चाहते हैं कि न्यायपालिका उनके एजेंडे का समर्थन करे
CJI NV Ramana On Democracy: सीजेआई एनवी रमण ने जोर देते हुए कहा कि न्यायपालिका अकेले संविधान के प्रति जवाबदेह है. हमें भारत में संवैधानिक संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है.
CJI NV Ramana on Political Parties: भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमण ने लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका को लेकर अपने विचार रखे हैं. उन्होंने कहा कि भारत में राजनीतिक दलों के बीच गलत धारणा है कि न्यायपालिका (Judiciary) को उनके कार्यों का समर्थन करना चाहिए. देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने शुक्रवार को कहा कि न्यायपालिका एक स्वतंत्र अंग है जो अकेले संविधान (Constitution) के प्रति जवाबदेह है, न कि किसी राजनीतिक दल या विचारधारा के प्रति जवाबदेह है.
भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि देश में राजनीतिक दलों के बीच यह गलत धारणा है कि न्यायपालिका को राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाना चाहिए. CJI संयुक्त राज्य अमेरिका में कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को में एसोसिएशन ऑफ इंडो-अमेरिकन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे.
राजनीतिक दलों पर कटाक्ष
चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने आगे कहा, हम इस साल आजादी के 75वें साल का जश्न मना रहे हैं. हमारा गणतंत्र 72 वर्ष का हो गया है, तो कुछ अफसोस के साथ मुझे कहना पड़ रहा है कि हर संस्थान संविधान द्वारा सौंपी गई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की पूरी तरह से सराहना करना नहीं सीखा है. सत्ता में मौजूद पार्टी का मानना है कि हर सरकारी काम न्यायिक समर्थन की हकदार है. विपक्षी दल न्यायपालिका से अपने राजनीतिक पदों और कारणों को आगे बढ़ाने की उम्मीद करते हैं.
'न्यायपालिका अकेले संविधान के प्रति जवाबदेह'
उन्होंने कहा कि इस तरह की विचार प्रक्रिया से संविधान और लोकतंत्र की समझ की कमी से पैदा होती है. यह आम जनता के बीच प्रचारित अज्ञानता है जो ऐसी ताकतों की सहायता के लिए आ रही है जिनका उद्देश्य एकमात्र स्वतंत्र अंग यानी न्यायपालिका को खत्म करना है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि न्यायपालिका अकेले संविधान के प्रति जवाबदेह है. हमें भारत में संवैधानिक संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है.
सहिष्णुता और समावेशिता को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश
भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमण (CJI NV Ramana) ने अपने भाषण में सहिष्णुता और समावेशिता को बढ़ावा देने के महत्व पर भी प्रकाश डाला. इस संबंध में उन्होंने अमेरिका का ही उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि यह अमेरिकी समाज की सहिष्णुता (Tolerance) और समावेशी प्रकृति है जो दुनिया भर से सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने में सक्षम है, जो बदले में इसके विकास में योगदान दे रही है. अलग-अलग पृष्ठभूमि से योग्य प्रतिभाओं का सम्मान करना भी आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए जरूरी है. समावेशिता समाज में एकता को मजबूत करती है जो शांति और प्रगति की कुंजी है. हमें इस पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है जो मुद्दे हमें एकजुट करते हैं, उन पर नहीं जो हमें बांटते हैं.
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