नई दिल्लीः भारत के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने शुक्रवार को देश के नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों को लेकर बड़ी बात कही है. एनवी रमना का कहना है कि उन्हें देश में पुलिस अधिकारियों के व्यवहार को लेकर काफी आपत्तियां हैं. जिसका उन्होंने नौकरशाहों, विशेष रूप से पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अत्याचार और शिकायतों की जांच के लिए एक पैनल बनाने के बारे में सोचा था. ये पैनल संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में होते.


दरअसल सीजेआई एनवी रमना की एक पीठ छत्तीसगढ़ के निलंबित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जिसमें गुरजिंदर पाल सिंह पर राजद्रोह, जबरन वसूली और आय से अधिक संपत्ति के गंभीर आरोप लगाए गए हैं. इस पीठ में सीजेआई के अलावा न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल थे.


सीजेआई का कहना है कि वह हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में नौकरशाहों, विशेष रूप से पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अत्याचारों और शिकायतों की जांच के लिए एक स्थायी समिति बनाने के बारे में विचार कर रहे थे. वह अपने इस विचार को अभी फिलहाल रिजर्व रखना चाहते हैं.


"ऐसे पुलिस अधिकारियों को सुरक्षा देने के बजाए जेल भेजना चाहिए"


सीजेआई ने गुरजिंदर पाल सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके वकील से कहा था कि गुरजिंदर को हर मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा नहीं दी जा सकती है. वह सरकार के करीबी हैं तो उन्होंने पैसा वसूलना भी शुरू कर दिया. अगर आप इन चीजों को कर रहें हैं तो आपको वापस भी भुगतना पड़ेगा.


सीजेआई का कहना है कि देश में ऐसे पुलिस अधिकारियों को सुरक्षा देने के बजाए उन्हें जेल भेज देना चाहिए. इसके साथ ही सीजेआई ने कहा कि कोई पुलिस अधिकारी किसी राजनीतिक दल जिसकी सरकार हो उसका साथ देता है तो अगले चुनाव के बाद दूरी पार्टी की सरकार बनने पर उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो जाती है. राजनीति में यह नया चलन हो गया है, जिसे रोके जाने की जरूरत है.


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