सुप्रीम कोर्ट में कल सुना जाएगा अयोध्या मामला, पांच जजों की संविधान पीठ का हुआ है गठन
जानकारों का मानना है कि कोर्ट ने ये साफ कर दिया है कि वो मामले को साधारण भूमि विवाद की तरह नहीं देख रहा है. उसे एहसास है कि ये राष्ट्रीय महत्व का मसला है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में कल अयोध्या मामला सुना जाएगा. मामला पांच जजों की संविधान पीठ के सामने लग रहा है. इससे पहले मामला तीन जजों की बेंच सुन रही थी. जानकारों का मानना है कि ये इस बात को दिखाता है कि कोर्ट मामले को साधारण भूमि विवाद की तरह नहीं ले रहा है. वो इससे जुड़े संवैधानिक पहलुओं की भी समीक्षा करना चाहता है. गुरुवार को अयोध्या मामला पांच जजों की संविधान पीठ के सामने लगेगा. बेंच की अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई करेंगे. बाकी 4 सदस्य हैं- जस्टिस एस ए बोबडे, एन वी रमना, यु यु ललित और डी वाई चंद्रचूड़. जजों की वरिष्ठता और उम्र के हिसाब से ये चारों जज भी भविष्य में चीफ जस्टिस बनने की कतार में है. यानी कोर्ट ने वरिष्ठ जजों की बेंच का गठन इस सुनवाई के लिए किया है.
जानकारों का मानना है कि कोर्ट ने ये साफ कर दिया है कि वो मामले को साधारण भूमि विवाद की तरह नहीं देख रहा है. उसे एहसास है कि ये राष्ट्रीय महत्व का मसला है. मुद्दा धर्म से जुड़ा है. इसमें संवैधानिक पहलुओं की समीक्षा की भी ज़रूरत पड़ेगी. माना जा रहा है कि सुनवाई में कोर्ट यह तय कर देगा कि मामले को कब से और किस तरह से सुना जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के वकील डी के गर्ग का कहना है, "ऐसा लग रहा कि मामला अब तेज़ी पकड़ लेगा. 5 जजों की बेंच इसलिए भी बनी है ताकि किसी पक्ष के एतराज़ की कोई गुंजाइश न बचे. बेंच ये तय कर देगी कि मामला कैसे सुना जाएगा. चूंकि, हाईकोर्ट ज़्यादातर सवालों के जवाब दे चुका है. इसलिए, सुनवाई में ज़्यादा समय नहीं लगना चाहिए."
वैसे तो ये बेंच को तय करना है कि मामले को कितने दिनों में निपटाया जाएगा. अगर बेंच सभी पक्षों के जिरह की समय सीमा तय कर देती है. साथ ही सुनवाई पूरी करने का समय भी तय कर दिया जाता है तो फैसला 3-4 महीनों में आ सकता है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई बेंच के सदस्य हैं. उन्हें इस साल 17 नवंबर को रिटायर होना है. ऐसे में अगर 3-4 महीने में मामले का निपटारा नहीं हुआ, तब भी तय परंपरा के मुताबिक इससे पहले फैसला ज़रूर आ जाएगा.
मामले से जुड़े पक्ष संविधान पीठ के गठन का स्वागत कर रहे हैं. हिन्दू महासभा के वकील विष्णु शंकर जैन ने एबीपी न्यूज़ से कहा, "कोर्ट ने इसे साधारण ज़मीन विवाद से अलग माना है. हम कोर्ट को समझाएंगे कि कैसे न सिर्फ हमारा दावा ज़मीन पर पक्का है. बल्कि ये धर्म की मूल आस्था से जुड़ा है."
मुस्लिम पक्ष के वकील एजाज़ मकबूल ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि मामले से जुड़े दस्तावेजों के अनुवाद का काम पूरा हो चुका है. सभी दस्तावेजों और हाईकोर्ट रिकॉर्ड की 5 जजों के हिसाब से कॉपी तैयार कर ली गई है. ऐसे में अगर बेंच चाहे तो तुरंत सुनवाई शुरू कर सकती है. कल कोर्ट सबसे पहले मामले से जुड़े सवालों को तय करेगा. उन्हीं सवालों पर दलीलें रखी जाएंगी और फैसला आएगा.
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