चुनाव आयुक्तों के चयन से जुड़ी याचिका की सुनवाई से CJI संजीव खन्ना ने खुद को किया अलग, जानें वजह
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को भी शामिल करने की मांग की गई है.
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई से चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने खुद को अलग कर लिया है. अब जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट की अलग बेंच के सामने मामला सुनवाई के लिए लगेगा. इस साल जनवरी में कोर्ट ने मामले पर नोटिस जारी किया था. अभी केंद्र सरकार का जवाब आना बाकी है.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को भी शामिल करने की मांग की गई है. पिछले साल कोर्ट ने फैसला दिया था कि चुनाव आयुक्त का चयन चीफ जस्टिस, पीएम और नेता विपक्ष की कमिटी को करना चाहिए, लेकिन सरकार ने नया कानून पास करते हुए इस कमेटी में चीफ जस्टिस को न रखते हुए पीएम की तरफ से नामित प्रतिनिधि को जगह दी है.
किसने दाखिल की याचिका
संसद से पारित नए कानून के खिलाफ कांग्रेस नेता जया ठाकुर, वकील गोपाल सिंह, नमन श्रेष्ठ समेत कुछ और याचिकाकर्ताओं ने याचिका दाखिल की है. इन याचिकाओं में चीफ इलेक्शन कमिश्नर एंड अदर इलेक्शन कमिश्नर्स (अपॉइंटमेंट) एक्ट, 2023 की धारा 7 और 8 को चुनौती दी गई है.
नए कानूनों में क्या है खास
साल 2023 के दिसंबर में पारित चुनाव आयुक्त अधिनियम ने चुनाव आयोग अधिनियम, 1991 की जगह ली है. इसमें चुनाव अधिकारियों का अपॉइंटमेंट, सैलरी और हटाने की प्रक्रियाओं में बड़ा फेर बदल किए गए हैं. इसके नए कानून में सबसे खास बात ये है कि राष्ट्रपति एक सेलेक्शन कमेटी की सिफारिश के बेस पर चुनाव आयुक्तों को अपॉइंट करेंगे, जो केंद्रीय कानून मंत्री की अध्यक्षता वाली एक सेलेक्शन कमेटी की ओर से प्रस्तावित कैंडिडेट्स की लिस्ट पर विचार करने के बाद रेडी की जाती है.
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