सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (18 नवंबर, 2024) को उन याचिकाओं में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिनमें पंजाब ग्राम पंचायत चुनावों में अनियमितता के आरोप लगाए गए हैं. कोर्ट ने चुनाव न्यायाधिकरण को 6 महीने के अंदर निर्णय लेने का फैसला लिया है. कोर्ट ने उन याचिकाकर्ताओं को भी हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की अनुमति दी है, जिनका नामांकन खारिज कर दिया गया था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस पर हैरानी जताई कि पंजाब पंचायत चुनावों में 13,000 पंचायत पदाधिकारियों में से 3,000 निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं. कोर्ट ने असंतुष्ट उम्मीदवारों को चुनाव याचिका दायर करने की अनुमति दे दी.


मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कई उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों को खारिज करने और अन्य चुनावी अनियमितता का आरोप लगाने संबंधी याचिका पर पहले नोटिस जारी किए थे. कोर्ट ने कहा कि पीड़ित व्यक्ति निर्वाचन आयोग के समक्ष चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं और आयोग को छह महीने में उन पर फैसला करना होगा. कोर्ट उस आदेश के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें 836 याचिकाएं खारिज दी गई थीं. याचिकाओं में नामांकन पत्रों को मनमाने ढंग से खारिज करने का आरोप लगा है. 


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन उम्मीदवारों के नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए या फाड़ दिए गए, वे भी अपनी शिकायतें लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट जा सकते हैं. अदालत ने कहा कि उनकी याचिकाओं को सीमा अवधि के उल्लंघन के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता. सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि याचिकाओं को गुण-दोष के आधार पर निपटाया जाना चाहिए.


आदेश में कहा गया है, 'हम याचिकाकर्ता को चुनाव याचिका दायर करने की अनुमति देते हैं. राज्य निर्वाचन आयोग छह महीने में याचिकाओं पर फैसला करेगा, देरी होने पर याचिकाकर्ता हाईकोर्ट जा सकते हैं.' आदेश में कहा गया है, 'जिन लोगों के नामांकन खारिज कर दिए गए या कागजात फाड़ दिए गए, वे कानून के अनुसार उच्च न्यायालय के समक्ष समीक्षा याचिका दायर कर सकते हैं... यदि उच्च न्यायालय में उनकी याचिका खारिज कर दी जाती है तो याचिकाकर्ताओं को इस अदालत में आने का अधिकार है.'


संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, जब कोर्ट को बताया गया कि पंचायत के 13,000 से अधिक पदों में से 3,000 पर उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं, तो प्रधान न्यायाधीश ने आश्चर्य व्यक्त किया. सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, 'यह बहुत अजीब है! मैंने ऐसे आंकड़े कभी नहीं देखे... यह बहुत बड़ी संख्या है.' उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि राज्य के अधिकारियों ने हाकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं को पर्याप्त नोटिस दिए बिना मामले की पूर्व सुनवाई की मांग की. उन्होंने कहा, यह बहुत अजीब मामला है. 836 लोग हैं और बिना किसी नोटिस के रिट याचिका को आगे बढ़ाया जा रहा है? हो सकता है कि अवका पीठ ने स्थगन दिया हो,लेकिन आप इसे आगे नहीं बढ़ा सकते.' 


एक वकील ने दावा किया कि चुनाव के दौरान एक उम्मीदवार का चुनाव चिह्न हटा दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि हाईकोर्ट ने सैकड़ों याचिकाओं को प्रभावित पक्षों का पक्ष उचित तरीके से सुने बिना खारिज कर दिया. बेंच ने 18 अक्टूबर को सुनीता रानी और अन्य द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें 15 अक्टूबर को हुए पंचायत चुनावों में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था.


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