राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (21 मार्च, 2025) को सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता श्रुति बिष्ट का कहना था कि लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण का कानून बनाया जा चुका है. यह व्यवस्था राज्यसभा के लिए भी की जानी चाहिए. याचिकाकर्ता की बात थोड़ी देर सुनने के बाद चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इसे दूसरी बेंच के पास भेज दिया.
दूसरी बेंच को क्यों गया मामला?
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि जस्टिस बेला त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली बेंच 28 अप्रैल से शुरू हो रहे सप्ताह में इस मामले को सुने. कोर्ट ने ऐसा निर्देश इसलिए दिया क्योंकि इससे पहले लोकसभा और विधानसभा में महिला आरक्षण तत्काल लागू करने की मांग पर जस्टिस बेला त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई की थी. 10 जनवरी, 2025 को बेंच ने तकनीकी आधार पर उस याचिका को खारिज किया था.
पिछली याचिका क्यों हुई थी खारिज?
कांग्रेस नेता जया ठाकुर और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण तत्काल लागू करने की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि जनगणना और सीटों के परिसीमन के नाम पर महिला आरक्षण लागू करने के लिए इंतेजार करना सही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इन याचिकाओं को खारिज कर दिया था कि इनमें 128वें संविधान संशोधन बिल को चुनौती दी गई है, जबकि बिल पारित होकर कानून बन चुका है. ऐसे में याचिकाएं निरर्थक हो चुकी हैं.
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