CJI UU Lalit: बीते दिनों को याद कर भावुक हुए चीफ जस्टिस यूयू ललित, आंसू पोंछते हुए जानिए क्या कुछ कहा
CJI UU Lalit In Nagpur: नागपुर में अपने बीते दिनों को याद कर चीफ जस्टिस यूयू ललित इतने भावुक हो गए कि उनकी आंखों से आंसू बहने लगे. आंसू पोंछते हुए उन्होंने लोगों से क्षमा मांगी.
CJI Uday Umesh Lalit: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) उदय उमेश ललित (CJI UU Lalit) ने एक वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत महाराष्ट्र (Maharashtra) के नागपुर (Nagpur) शहर से की थी. अपने बीते दिनों को याद कर चीफ जस्टिस इतने भावुक हो गए कि उनकी आंखों से आंसू बह गए. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (High Court Bar Association) की ओर से आयोजित सम्मान समारोह में अपने बीते दिनों को याद करते हुए समारोह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वह सीजेआई के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अपने सर्वोत्तम ज्ञान और क्षमता के अनुसार सब कुछ करेंगे.
जीवन एक यात्रा है...कविता का उल्लेख कर रो पड़े सीजेआई
सीजेआई ने कहा कि नागपुर में बोलते हुए उन्हें अपने पुराने दिनों की याद आ रही है, जब उन्होंने कानूनी पेशे की अपनी यात्रा यहीं से शुरू की थी. सीजेआई ने रुडयार्ड किपलिंग की एक कविता का उल्लेख किया, जिसमें यह कहा गया है कि जीवन एक यात्रा है. इस कविता का उल्लेख करते हुए वह इतने भावुक हो गये कि सम्बोधन के दौरान कुछ क्षण के लिए उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े और अपने बहुत मुश्किल से उन्होंने जज्बातों को काबू किया.
सीजेआई बोले- अपनी क्षमता के अनुसार सबकुछ करूंगा
उन्होंने आंसू पोंछे और भावनाओं पर काबू न रख पाने के लिए वहां उपस्थित लोगों से क्षमा मांगी. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे सिर्फ एक वादा करना है. मैं अपनी पूरी जानकारी और क्षमता के अनुसार सब कुछ करूंगा.’’ सीजेआई ने कहा, मैं भाग्यशाली रहा हूं कि मैं वकीलों के परिवार से आता हूं. मेरे दादा ने 1920 में जिला सोलापुर में अपने कैरियर की शुरुआत की थी. तीन महीने के बाद जब मैं ये पद छोड़ दूंगा तो मुझे सबसे ज्यादा खुशी ये होगी कि मेरी पिछली और अगली पीढ़ी इसी पेशे में रही है.
सीजेआई ने कही थी बड़ी बात
बीती 27 अगस्त को यूयू ललित ने देश के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली थी. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट के काम-काज में तीन मुख्य सुधार करने का एलान किया था. उन्होंने कहा कि मेरा प्रयास रहेगा मामलों को सूचीबद्ध करने में पारदर्शिता हो. ऐसी व्यवस्था बना सकूं, जिसमें जरूरी मामले संबंधित पीठों के सामने स्वतंत्रता पूर्वक उठाए जा सकें और यह प्रयत्न किया जाएगा कि कम से कम एक संविधान पीठ सालभर काम करती रहे.
उन्होंने कहा कि हमें निश्चित रूप से मामलों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया को यथासंभव स्वच्छ और पारदर्शी बनाने का प्रयत्न करना है. साथ ही, लोग जल्द ही जरूरी मामलों की त्वरित सुनवाई के मामले में भी एक स्पष्ट व्यवस्था देखेंगे.
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