स्टडी में दावा- वायु प्रदूषण से हुई मौतों में 25 फीसदी घरेलू उत्सर्जन के कारण, इनमें टल सकती थी एक चौथाई मौत
एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि देश वायु प्रदूषण से जुड़ी एक चौथाई मौतें घरेलू उत्सर्जन के कारण होती हैं. स्टडीमें कहा गया है कि इनमें से एक चौथाई मौतों को ठोस बायो फ्यूल जलाना खत्म करके टाला जा सकता था, जिसका उपयोग मुख्य रूप से घरेलू हीटिंग और खाना पकाने के लिए किया जाता है.
नई दिल्ली: भारत में वायु प्रदूषण से जुड़ी एक चौथाई मौतें घरेलू उत्सर्जन के कारण होती हैं. पहली ग्लोबल सोर्स अपॉर्शन्मन्ट स्टडी में यह दावा किया गया है. नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित स्टडी में 2017 और 2019 में स्पेसिफिक सोर्स से वायु प्रदूषण के कारण हुई मौतों की संख्या का विश्लेषण किया गया है.
स्टडी में बायो फ्यूल जलाने (खाना पकाने, हीटिंग से उत्सर्जन के कारण इनडोर वायु प्रदूषण) से घरेलू उत्सर्जन के 15 प्रदूषणकारी स्रोतों की पहचान की गई. इसमें 2017 और 2019 में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 (पीएम 2.5) का करीब एक-चौथाई हिस्सा (25.7%) रहा. इसके बाद उद्योग (14.8%) और ऊर्जा (12.5%) , कृषि (9.4%), ट्रांसपोर्ट (6.7%) का नंबर रहा.
एक चौथाई मौतों को ठोस बायो फ्यूल जलाना रोककर टाला जा सकता
देश में पीएम 2.5 के कारण होने वाली कुल मौतों का अनुमान 2017 और 2019 में क्रमशः 866,566 और 953,857 है. विश्लेषण में कहा गया है कि इनमें से एक चौथाई मौतों को ठोस बायो फ्यूल जलाना खत्म करके टाला जा सकता था, जिसका उपयोग मुख्य रूप से घरेलू हीटिंग और खाना पकाने के लिए किया जाता है.
पीएम 2.5 के कारण चीन और भारत में ज्यादा मौतें
स्टडी में दावा किया गया है कि वैश्विक स्तर पर 2017 में जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) जलाना खत्म करके 10 लाख मौतों को टाला जा सकता था, जिसमें कोयले का योगदान आधे से अधिक था. इसने यह भी कहा गया है कि चीन और भारत में वैश्विक स्तर पर 58% पीएम के लिए जिम्मेदार हैं, जिससे बड़ी संख्या में मौतें हो रही हैं.
उदाहरणों का हवाला देते हुए, इसने कहा कि घरेलू उत्सर्जन औसत पीएम 2.5 रिस्क चीन और भारत में मृत्यु दर का सबसे बड़ा स्रोत है. बीजिंग और सिंगरौली (मध्य प्रदेश) के आसपास के क्षेत्रों में ऊर्जा और उद्योग सेक्टर से अपेक्षाकृत बड़ा योगदान है.
स्टडी कई देशों के लिए स्टार्टिंग पॉइंट
स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता माइकल ब्रेउर ने कहा, यह स्टडी विभिन्न स्रोतों के महत्व का वैश्विक परिप्रेक्ष्य और कई देशों को एक स्टार्टिंग पॉइंट उपल्बध करती है, जिन्होंने अभी तक वायु प्रदूषण को स्वास्थ्य संबंधी चिंता के रूप में एड्रेस नहीं किया है.
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