कोरोना ने देश में तबाही मचा दिया है. तीन करोड़ से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हुए हैं जबकि इससे 3.91 लाख लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. कई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि कोरोना के कारण लोगों की रोजी-रोटी चली गई जिसके कारण प्रत्येक घर में आय की कमी हो गई. लोगों के पास बचत के पैसे खर्च हो गई. इस स्थिति में इंश्योरेंस यानी बीमा आर्थिक कवत की तरह काम करता है लेकिन हैरानी की बात यह है कि देश के अधिकांश लोग किसी भी तरह के इंश्योरेंस कवर से वंचित रहते हैं.


कोरोना काल में इसका अंदाजा लग गया है. आंकड़ों के मुताबिक देश में अब तक कोरोना से 3.91 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन इनमें से सिर्फ 14 प्रतिशत मृत व्यक्तियों के परिवारों ने जीवन बीमा के लिए क्लेम किया है. यानी देश में आज भी लोगों के पास जीवन बीमा न के बराबर है. यह आंकड़ें हैरान करने वाले हैं. 


88 प्रतिशत के क्लेम का निपटान हो चुका 
आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से मरे  55,276 लोगों के परिवारों ने अब तक इंश्योरेंस के लिए क्लेम डाला है. इनमें से 88 प्रतिशत क्लेम का निपटान इंश्योरेंस कंपनी कर चुकी है. यानी इंश्योरेंस के कुल क्लेम में से 88 प्रतिशत को करीब 3593 करोड़ रुपये दे दिए गए हैं. Insurance Regulatory and Development Authority of India (IRDAI) के सदस्य एल अलामेलु ने यह बात कही है.


दूसरी ओर देश में हेल्थ इंश्योरेंस के प्रति लोगों में दिलचस्पी है. एल अलामेलु ने बताया कि 22 जून तक 19.11 लाख कोविड हेल्थ क्लेम किए गए. इनमें से 80 प्रतिशत को क्लेम दे दिया गया है. इस हिसाब से 15.39 लाख लोगों को कोरोना हेल्थ क्लेम के रूप में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने 15000 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान कर चुकी है. 


4 प्रतिशत हेल्थ क्लेम हुए रिजेक्ट
एल अलामेलु ने बताया कि केवल 4 प्रतिशत हेल्थ क्लेम को हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने खारिज कर दिया जबकि 0.66 प्रतिशत लाइफ क्लेम को कंपनियों ने अस्वीकार किया. अलामेलु बताती हैं कि संकट के इस घड़ी में आज हमें बीमा के महत्व का पता चला है. उन्होंने कहा कि आज हम ऐसी परेशानी में फंसे हुए हैं जिसमें हमें अपने बचत के सारे पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं.


कइयों को यह परेशानी गरीबी रेखा के नीचे ला दिया है. उन्हें अपनी ज्वैलरी बेचनी पड़ी है, कर्ज लेना पड़ा है और संपत्ति को बेचना पड़ रहा है. इस अप्रत्याशित स्थिति को देखते हुए इंश्योरेंस कंपनियां और नियामक मिलकर एक नई समग्र नीति बनाने की ओर अग्रसर है ताकि महामारी की ऐसी स्थिति में लोगों की आर्थिक मांग को पूरी किया जा सके. 


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