स्वच्छ भारत अभियान: मोदी सरकार के दावों को संसदीय समिति ने बताया कागजी, उठाए कई सवाल
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शौचालय बना देने भर से सरकार का काम पूरा नहीं हो जाता. समिति ने सरकार से पूछा है कि लोगों की आदतों में बदलाव के लिए अबतक क्या किया गया है?
नई दिल्ली: मोदी सरकार स्वच्छ भारत मिशन और उसके अंतर्गत शौचालयों के निर्माण को अपनी एक बड़ी उपलब्धि मानती है. लगातार ये दावा किया जा रहा है कि दो अक्टूबर 2019 के तय लक्ष्य के पहले ही पूरे देश को खुले में शौच के श्राप से मुक्ति मिल जाएगी. अब एक संसदीय समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की इस सबसे महत्वाकांक्षी योजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
काग़ज़ी हैं मोदी सरकार के आंकड़ें?
दरअसल ग्रामीण विकास मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) को लेकर संसद में एक रिपोर्ट पेश की है. अपनी रिपोर्ट में कमिटी ने इस मिशन की कुछ कमियों को लेकर इसकी आलोचना की है. रिपोर्ट में सरकार के उस दावे को काग़ज़ी क़रार दिया गया है, जिसके मुताबिक इस साल 24 मई तक ग्रामीण इलाकों के 84% हिस्से को खुले में शौच से मुक्त क़रार दिया गया. समिति ने साफ साफ कहा है कि सरकार के दावों की असलियत कुछ और है.
कितने लोग करते हैं शौचालयों का इस्तेमाल?
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शौचालय बना देने भर से सरकार का काम पूरा नहीं हो जाता. समिति ने सरकार से पूछा है कि लोगों की आदतों में बदलाव के लिए अबतक क्या किया गया है? रिपोर्ट के मुताबिक, ‘’सरकार का फोकस इस बात पर ज़्यादा होना चाहिए कि जो शौचालय बन गए, उसका इस्तेमाल भी हो. तभी स्वच्छ भारत की कल्पना सही अर्थों में साकार हो सकती है.’’ इसी सिलसिले में समिति ने शौचालयों की गुणवत्ता और उसमें पानी की उपलब्धता पर भी सरकार को ध्यान देने की हिदायत दी है.
बिहार और उत्तर प्रदेश पिछड़े
समिति ने इस बात पर चिंता जताई है कि कुछ राज्यों में शौचालयों के निर्माण की गति काफ़ी धीमी है. ख़ासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में तो इनका निर्माण कछुए की चाल से हो रहा है. समिति ने इन राज्यों में निर्माण कार्य युद्धस्तर पर शुरू करने को कहा है ताकि तय समय में काम पूरा किया जा सके. पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने समिति के सामने ये कबूल भी किया है कि इन राज्यों में काम की गति काफी धीमी है, जिसे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. इसी सिलसिले में समिति ने सरकार से ये भी पूछा है कि आखिर अबतक स्वच्छ भारत मिशन के लिए जारी पैसों में से दस हजार करोड़ रुपयों का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा सका है? समिति ने सरकार से कहा है कि जिन राज्यों में पैसों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है, उन्हें आगे पैसा नहीं देना चाहिए.
साल 2014 में लॉन्च हुआ था स्वच्छ भारत मिशन
नरेंद्र मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही महीनों के अंदर यानि दो अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन लॉन्च किया था. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर शुरू हुए इस योजना का लक्ष्य 2 अक्टूबर 2019 तक पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त करने का है. अबतक 17 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुके हैं. जिनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, केरल, राजस्थान और सिक्किम जैसे राज्य शामिल हैं.
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