नई दिल्ली: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड लिमिटेड मात्रा में निजी अस्पतालों को 600 रुपये प्रति खुराक की दर पर बेची जाएगी. दूसरे कई मेडिकल ट्रीटमेंट की तुलना में यह कीमत अभी भी कम है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से कहा गया कि अग्रिम वित्त पोषण के चलते दुनिया भर में कोविड वैक्सीन की शुरुआती कीमत कम थी, अब उत्पादन बढ़ाने के लिए निवेश करना होगा. इससे पहले कई राज्यों ने अलग-अलग रेट को लेकर सवाल उठाए थे, जिसके बाद सीरम ने ये सफाई दी है.




ममता ने बताया था जनविरोधी फैसला


इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि कोविड-19 टीकाकरण की रणनीति अत्यधिक भेदभावपूर्ण और जनविरोधी है. मुख्यमंत्री ने सवाल दागते हुए कहा था, 'राज्य सरकार के लिए आखिर वैक्सीन की कीमतें अलग-अलग क्यों तय की गई हैं? भारत सरकार को वैक्सीन प्रोड्यूसर से प्रति खुराक 150 रुपये की दर से वैक्सीन मिलेगी, जबकि आपने हमारे लिए यानी राज्यों के लिए प्रति खुराक 400 रुपये की कीमत निर्धारित की है. जो गरीब विरोधी है. राज्य गरीबों और युवाओं के लिए टीके खरीदेंगे, इसलिए आपकी नीति गरीब और युवा विरोधी दोनों हैं. उन्होंने कहा कि वैक्सीन की इस दर या रेट में भिन्नता इतिहास में कभी नहीं देखी गई है.'


ममता ने यह भी कहा, 'निजी अस्पतालों के लिए प्रति खुराक 600 रुपये की दर से फिक्सिंग न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि यह अस्वास्थ्यकर भी है, क्योंकि इससे बाजार में अनैतिक तंत्र को बढ़ावा मिलने की संभावना है. उन्होंने चेतावनी दी है कि स्थिति गंभीर है और यह व्यवसाय करने का समय नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें दृढ़ता से लगता है कि हर भारतीय को एक मुफ्त टीका मिलना चाहिए, चाहे वह किसी भी कीमत पर हो.'


सोनू सूद ने कहा था- धंधा फिर कभी कर लेंगे


सोनू सूद ने निशुल्क वैक्सीन को लेकर कहा था, 'हर किसी को ये वैक्सीन फ्री में दी जानी चाहिए. इसकी कीमत को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है. बिजनेसमैन और व्यक्ति जो इसे अफोर्ड कर सकते हैं, वह आगे आए और हर किसी को वैक्सीन दिलवाने में मदद करें. धंधा फिर कभी और कर लेंगे.'


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