Sonam Wangchuk Detained in Delhi: क्लाइमेट एक्टिविस्ट और लद्दाख की समस्याओं को लेकर आवाज उठाने वाले सोनम वांगचुक समेत उनके करीब 130 समर्थकों को सोमवार रात (30 सितंबर 2024) दिल्ली पुलिस ने सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में लिया. दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर बीएनएस की धारा 163 लागू कर दी गई है. वहीं, इस कार्रवाई को लेकर कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमला किया है.


लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, "सोनम वांगचुक जी और पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण मार्च कर रहे सैकड़ों लद्दाखियों को हिरासत में लेना अस्वीकार्य है. लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े होने वाले बुजुर्गों को दिल्ली की सीमा पर क्यों हिरासत में लिया जा रहा है? मोदी जी, किसानों की तरह यह चक्रव्यूह भी टूटेगा और आपका अहंकार भी टूटेगा. आपको लद्दाख की आवाज सुननी होगी."




क्या हुआ सोमवार देर रात दिल्ली बॉर्डर पर?


दरअसल, सोनम वांगचुक अपने तय कार्यक्रम के अनुसार, सोमवार रात 700 किलोमीटर लंबी 'दिल्ली चलो पदयात्रा' करते हुए जैसे ही सिंघू बॉर्डर के जरिये हरियाणा से दिल्ली में दाखिल हुए तो दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोक लिया. उनके साथ करीब 130 कार्यकर्ता भी थे. दिल्ली पुलिस ने इन्हें समझाते हुए लौटने को कहा, लेकिन इनके न मानने पर सभी को हिरासत में ले लिया गया.


क्यों पैदल मार्च पर निकले हैं सोनम वांगचुक?


सोनम वांगचुक ने अपने समर्थकों के साथ 1 सितंबर को लेह से नई दिल्ली तक पैदल मार्च की शुरुआत की. उनका दिल्ली आने का मकसद केंद्र से उनकी मांगों के बारे में लद्दाख के नेतृत्व के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का आग्रह करना है. 14 सितंबर को जब वांगचुक की पदयात्रा हिमाचल प्रदेश पहुंची थी, तब उन्होंने कहा था कि हम सरकार को पांच साल पहले किए गए वादे को पूरा करने की याद दिलाने के मिशन पर हैं.


क्या है वांगचुक की मांगें?


सोनम वांगचुक की प्रमुख मांगों में से एक है लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना, जिससे स्थानीय लोगों को अपनी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करने के लिए कानून बनाने की शक्ति मिल सके. इसके अलावा वह लद्दाख को राज्य का दर्जा और लद्दाख के लिए मजबूत पारिस्थितिक सुरक्षा की वकालत कर रहे हैं. अपनी इन मांगों को लेकर वह लेह में नौ दिनों का अनशन भी कर चुके हैं. तब उनका जोर लद्दाख की नाजुक पर्वतीय पारिस्थितिकी और स्वदेशी लोगों की सुरक्षा के महत्व पर अधिकारियों का ध्यान खींचने पर था.


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