नई दिल्ली: भारत बायोटेक की कोरोना की वैक्सीन कोवैक्सीन को लेकर बड़ी खबर. कंपनी अब अपने वैक्सीन के तीसरे डोज़ का क्लीनिकल ट्रायल करने जा रही है. इस क्लीनिकल ट्रायल के लिए भारत बायोटेक को सेंट्रल ड्रग स्टैण्डर्ड कंट्रोलर ऑर्गेनाईजेशन की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी से अनुमति मिल चुकी है और जल्द इसका क्लीनिकल ट्रायल दिल्ली के एम्स अस्पताल में शुरू होने जा रहा है. इस पर एबीपी न्यूज़ ने खास बात की एम्स में इस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ संजय राय से.
तीसरी डोज के ट्रायल से क्या हासिल होगा और क्यों हो रहे हैं ये ट्रायल ?
जो ओरिजिनल क्लीनिकल ट्रायल हुआ था, फेज 1, 2 और 3 इसमें दो डोज चार हफ्ते के अंतराल पर दिए गए थे. उसके बाद पाया गया कि वैक्सीन सेफ और इफेक्टिव है. सरकार ने उसे लॉन्च भी किया. अभी थोड़ा एविडेंस जनरेट करने की जरूरत है कि कहीं 6 महीने बाद अगर इम्युनिटी कम हो रही है, तो क्या तीसरे डोज देने से वो बढ़ जाएगी. उसकी प्रोटेक्टेड एफिकेसी क्या बढ़ सकती है. इसके लिए एविडेंस जनरेट करने के लिए ये प्रक्रिया अपनाई जा रही है. हो सकता है तीसरा डोज देने के बाद इम्युनिटी अच्छी हो, हो सकता कोई असर न हो. जितनी इम्युनिटी पहले प्रोटेक्ट कर रही है उतनी अभी हो. थर्ड डोज देने के बाद एविडेंस जनरेट कर रहे हैं.
इस ट्रायल में कौन शामिल होगा ?
ये नए लोगों के लिए नहीं है, कोवैक्सीन की डिमांड है. लोग आना शुरू कर देते हैं, इसमें हम नए लोगों नहीं ले रहे हैं. इसमें उन्हीं को ट्रायल में शामिल किया जाएगा, जो पहले शामिल हुए थे.
ये डोज कितने अंतराल पर दी जाएगी?
दो डोज उन्हें, पहले मिल चुकी है, तीसरी डोज उन्हें दी जाएगी.
इसका एनालिसिस कैसे होगा?
इ़मुनोजेन्सिटी जैसे फेज 2 में देख रहे थे, इसकी एनालिसिस भी करेंगे. एंटीबॉडी लेवल कितना बढ़ रहा है और न्यूट्रालाइज़िंग पावर है, कितनी वो देखेंगे.
एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के डॉ संजय राय ने कहा, "नए लोगों के लिए नहीं है, कोवैक्सीन की डिमांड है. लोग आना शुरू कर देते हैं. इसमें हम नए लोगों नहीं ले रहे हैं. इसमें उन्हीं को ट्रायल में शामिल किया जाएगा जो पहले शामिल हुए थे. दो डोज उन्हें पहले मिल चुकी है, तीसरी डोज उन्हें दी जाएगी. इसके बाद अगले 6 महीने तक इसका फॉलो अप किया जाएगा. इस ट्रायल में तीसरी डोज 6 माइक्रोग्राम की दी जाएगी. इमुनोजेन्सिटी जैसे फेज 2 में देख रहे थे. इस ट्रायल का भी एनालिसिस करेंगे. एंटीबॉडी लेवल कितना बढ़ रहा है और न्यूट्रालाइज़िंग पावर है कितनी वो देखा जाएगा. ये ट्रायल दिल्ली के एम्स अस्पताल में जल्द शुरू होने की उम्मीद है. इस बारें जरूरी मंजूरी मिल चुकी है."
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