भारतीय दवा निर्माता कंपनी सिप्ला लिमिटेड ने सोमवार को जानकारी देते हुए कहा कि, कंपनी ने कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए लिली (Lilly) के गठिया ड्रग बार्किंतिब को बनाने और बेचने के लिए अमेरिका की कंपनी एली लिली एंड कंपनी के साथ एक लाइसेंसिंग समझौता किया है.
उन्होंने बताया कि ये समझौता उस दौरान हुआ जब देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है. साथ ही रेमेडिसविर और टोसीलिज़ुमाब जैसी कोरोनो वायरस दवाओं की भारी कमी झेल रहा है. सिप्ला ने स्टॉक एक्सचेंजों को एक फाइलिंग में कहा, बैरसिंतिब को अस्पताल में भर्ती कोविड-19 मरीजों को उपचार के लिए रेमेडिसविर के साथ कॉम्बीनेशन में उपयोग के लिए आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी गई है.
कंपनी एंटीवायरल ड्रग फेविपिरविर भी देती है
नवंबर में, यू.एस. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने शुरू में एली लिली को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए रेमेडीसविर के साथ कॉम्बीनेशन में बार्किंतिब के लिए एक आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी थी. बताया जा रहा है कि, लिली के साथ सिप्ला का सौदा कोरोना वायरस दवाओं के भारतीय दवा निर्माता के पोर्टफोलियो का बताता है. रेमेडिसविर और टोसीलिज़ुमाब के अलावा, कंपनी एंटीवायरल ड्रग फेविपिरविर भी देती है, जिसका इस्तेमाल हल्के से हल्के लक्षण वाले कोरोना वायरस मरीजों के साथ किया जाता है.
40 से अधिक देशों से मिली भारत को मदद
आपको बता दें, भारत में कोरोना ने तांडव मचाया हुआ है. देश तो इस भयावह दौर से जूझ ही रहा तो वहीं, भारत की मदद के लिए कई देश बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. आप हैरान होंगे पर अब तक भारत की कोरोना से इस लड़ाई में 40 से अधिक देशों ने मदद का हाथ बढ़ाया है. किसी देश से भारत को दवाओं की खेप मिली है तो किसी देश से भारत को ऑक्सीजन सिलिंडर. वैक्सीन की कमी में मदद करते हुए कई देशों से भारत में वैक्सीन की भारी मात्रा पहुंचाई गई है.
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