जयपुर: राजस्थान में कुछ चुनिंदा नेताओं के फोन टैपिंग किए जाने के विवाद पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि लगता है कि ये बीजेपी का आपसी झगड़ा है, वर्चस्व की लड़ाई है.
गहलोत ने फेसबुक पर लिखे पोस्ट में कहा, ''राजस्थान विधानसभा में फोन टेपिंग को लेकर मैं 14 अगस्त, 2020 को ही पूरी बात रख चुका हूं. ऐसा लगता है कि ये बीजेपी का आपसी झगड़ा है. वर्चस्व की लड़ाई है. जिसमें बेवजह मुद्दे बनाये जा रहे हैं. अनावश्यक रूप से हाउस को डिस्टर्ब किये जाने की कोशिश है.''
गहलोत ने अपने पुराने बयानों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ''राजस्थान में परंपरा कभी रही नहीं है गैरकानूनी टैप करने की, इसलिए इनके तर्क जो हैं उनके कोई मायने नहीं हैं. चीफ सेक्रेटरी हों चाहे होम सेक्रेटरी हों, उनको नौकरी करनी होती है, वो गैरकानूनी काम कभी नहीं कर सकते हैं. जो कुछ भी यहां पर सर्विलांस होती है, जिन लोगों के लिए होनी चाहिए तो वो कायदे से होती है.''
उन्होंने कहा, ''ये कहना कि मुख्यमंत्री हमारे फोन टेप करवा रहा है, अरे मैं स्वयं जब आरोप लगाता हूं केंद्र सरकार पर कि आज पूरा देश डरा हुआ है, टेलीफोन पर बात करते हुए डरता है कि भई व्हाट्सएप पर बात करो, कहीं बात हमारी टेप हो रही होगी ? पूरे देश के इंडस्ट्रियलिस्ट्स हों, व्यापारी हों, पॉलिटिशियन हों, डरे हुए हों और मेरा आरोप केंद्र सरकार पर ये होता है कि ये माहौल बन गया है पूरे देश के अंदर, वो व्यक्ति (CM) कैसे गैरकानूनी सर्विलांस करवा सकता है बताइए आप?''
पिछले साल जुलाई में राजस्थान में एक केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता के बीच फोन पर हुई बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ था. इसके बाद बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने अगस्त में विधानसभा सत्र में एक तारांकित सवाल किया था.
उन्होंने पूछा था, ''क्या यह सही है कि विगत दिवसों में फोन टेप किए जाने के प्रकरण सामने आए हैं ? यदि हां, तो किस कानून के अंतर्गत एवं किसके आदेश पर ? पूर्ण विवरण सदन की मेज पर रखें.''
इसका जवाब अब राज्य विधानसभा की वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ. इसके अनुसार, ''राजस्थान पुलिस द्वारा उपरोक्त प्रावधानों के अंतर्गत टेलीफोन अन्तावरोध (इंटरसेप्ट) सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त करने के उपरान्त ही किए गए है.''