Karnataka-Maharashtra Border Issue: कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच एक बार फिर से सीमा विवाद शुरू हो गया है. महाराष्ट्र सरकार की ओर से सीमावर्ती 865 गांवों में अपनी स्वास्थ्य बीमा योजना को लॉन्च करने पर कांग्रेस ने कर्नाटक की बीजेपी सरकार पर हमला किया है. जिस पर अब कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने जवाब दिया है. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार (15 मार्च) को कहा कि वह महाराष्ट्र सरकार से इस विषय पर बात करेंगे.
मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा, "उनकी सरकार 865 सीमावर्ती गांवों में महाराष्ट्र सरकार को अपनी स्वास्थ्य बीमा योजना की पेशकश करने से रोकने के लिए कदम उठाएगी, जिस पर पड़ोसी राज्य दावा करने की कोशिश कर रहा है."
महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने हाल ही में कर्नाटक के सीमावर्ती गांवों में 'महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना' को लागू करने के लिए अतिरिक्त 54 करोड़ रुपये की घोषणा की है. इन गांवों पर महाराष्ट्र सरकार अपना दावा करती है.
कांग्रेस ने बोम्मई का मांगा इस्तीफा
कांग्रेस की ओर से इस्तीफे की मांग पर सीएम बोम्मई ने कहा, "अगर महाराष्ट्र यहां धन जारी करता है, तो मैं इस्तीफा क्यों दूं? हमने भी महाराष्ट्र के पंढरपुर, तुलजापुर जैसे स्थानों के लिए धन जारी किया है, जहां कर्नाटक के लोग रहते हैं."
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, "मैं उनके फंड रिलीज करने पर गौर करूंगा और इसे रोकने के उपाय करूंगा. मुझे डीके शिवकुमार से सीखने की जरूरत नहीं है." कांग्रेस ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री बोम्मई के इस्तीफे की मांग की. कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पर राज्य और कन्नडिगों के हितों की रक्षा करने में बुरी तरह विफल होने का आरोप लगाया.
शिंदे सरकार को बर्खास्त करने की मांग
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने इस पर केंद्र सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने और महाराष्ट्र की शिंदे सरकार को बर्खास्त करने की मांग की. कांग्रेस ने कहा, "संघीय व्यवस्था में यह अच्छी बात नहीं है, इसलिए मैं मांग करता हूं कि केंद्र सरकार तुरंत हस्तक्षेप करे." शिवकुमार ने कहा, "वे बार-बार इस तरह की शरारतें कर रहे हैं, इसलिए मेरी मांग है कि केंद्र सरकार इस एकनाथ शिंदे सरकार को बर्खास्त करे." हुबली में पत्रकारों से बात करते हुए सिद्धारमैया ने कहा, "महाराष्ट्र का कदम भारत के संघीय ढांचे के लिए खतरा है."
दशकों से चल रहा है सीमा विवाद
बता दें कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच दशकों से ही सीमा विवाद चल रहा है. इस विवाद की शुरुआत 1956 में संसद द्वारा राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित होने के साथ ही हो गई थी. उस समय कर्नाटक को मैसूर राज्य एवं महाराष्ट्र को बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा माना जाता था.
1960 में अपने गठन के बाद से ही महाराष्ट्र का बेलगाम (बेलगावी) जिले और 80 फीसदी मराठी भाषी गांवों को लेकर कर्नाटक से विवाद है. सर्वोच्च न्यायालय में लंबित होने के बावजूद दोनों राज्यों के राजनीतिक नेतृत्व इस मुद्दे को अपनी-अपनी राजनीति के लिए भी इस्तेमाल करते रहते हैं.