Jharkhand Political Crisis: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने दावा किया कि "शैतानी ताकतें" उनकी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार (Jharkhand Government) को अस्थिर करने का प्रयास कर रही हैं. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि वह अपने खून की आखिरी बूंद तक लड़ेंगे. लातेहार में एक सरकारी समारोह को संबोधित करते हुए, सोरेन ने कहा कि वह चिंतित नहीं हैं, क्योंकि उन्हें लोगों द्वारा राज्य पर शासन करने का जनादेश दिया गया था, न कि उनके विरोधियों द्वारा.


मैं आदिवासी का बेटा हूं, डर मेरे डीएनए में नहीं


उन्होंने कहा कि "राजनीतिक रूप से जो लोग हमारे साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं, वो हमारे खिलाफ अब संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग कर रहे हैं. वे हमारी सरकार को अस्थिर करने के लिए ईडी, सीबीआई, लोकपाल और आयकर विभाग सबका उपयोग कर रहे हैं, लेकिन हम इसके बारे में चिंतित नहीं हैं. हमें यह जनादेश जनता ने दिया है, विरोधियों ने नहीं दिया." .


सोरेन ने कहा कि "राज्य में दो साल तक COVID-19 की स्थिति रही. अब, जब हमने अपने विकास की गति को तेज किया है तो शैतानी ताकतें हमारी गति को रोकने के लिए अपने छेद से बाहर निकल आई हैं. ऐसी ताकतें कुछ भी कर सकती हैं, लेकिन लोगों के लिए काम करने से मुझे कभी नहीं रोक सकती हैं. मैं एक आदिवासी का बेटा हूं और आदिवासी के डीएनए में डर नहीं है. मैं अपने शरीर में खून की आखिरी बूंद तक लड़ता रहूंगा."


 विरोधियों के लिए अब मुश्किल होगी


सोरेन ने दावा किया कि झारखंड में "बाहरी ताकतों का एक गिरोह" सक्रिय है. उन्होंने कहा, "इस गिरोह ने पिछले 20 वर्षों से राज्य को तबाह करने का काम किया था. 2019 में जब उन्हें सत्ता से बेदखल किया गया तो साजिशकर्ता इसे बर्दाश्त नहीं कर सके. अगर हम यहां रहते हैं तो उनके लिए आगे मुश्किल समय आने वाला है." मुख्यमंत्री ने कहा. "हम सत्ता के भूखे नहीं हैं. हम यहां सिर्फ लोगों के कल्याण के लिए काम करने के लिए एक संवैधानिक व्यवस्था के तहत हैं. क्या कभी किसी ने सोचा था कि हर बूढ़ी, विधवा और एकल महिला को पेंशन मिलेगी? यह आपके आशीर्वाद से आपके बेटे ने आपके साथ मिलकर संभव बनाया है. ”


व्यापारी बैठे हैं सत्ता में, उन्हें पता है लेना है, देना नहीं


सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार ने केंद्र से राज्य के लोगों को पेंशन देने के लिए और अधिक धनराशि स्वीकृत करने का आग्रह किया, क्योंकि झारखंड गरीब है, लेकिन उन्होंने मंजूरी नहीं दी. वे व्यापारियों का एक समूह हैं. वे जानते हैं कि कैसे लेना है, लेकिन देना नहीं है." मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विश्व आदिवासी दिवस (9 अगस्त) के मौके पर देश के प्रधानमंत्री और आदिवासी राष्ट्रपति ने देश के आदिवासी समाज को शुभकामनाएं देना भी मुनासिब नहीं समझा. उनकी नजर में हम हैं. 'आदिवासी' (आदिवासी) नहीं बल्कि 'वनवासी' (वनवासी)." 


शनिवार को राज्यपाल देंगे चुनाव आयोग को जवाब


बता दें कि चुनाव आयोग ने गुरुवार को राज्यपाल रमेश बैस को एक याचिका पर अपनी सिफारिश भेजी है, जिसमें सीएम हेमंत सोरेन को एक विधायक के रूप में खुद को खनन पट्टे का विस्तार करके चुनावी मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी. मामले में याचिकाकर्ता, BJP ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 (ए) का उल्लंघन करने के लिए सोरेन की अयोग्यता की मांग की है, जो सरकारी अनुबंधों के लिए अयोग्यता से संबंधित है. राजभवन के सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल शनिवार को चुनाव आयोग की सिफारिश पर जवाब दे सकते हैं.


ये भी पढ़ें:


Shrikant Tyagi News: 'गालीबाज' नेता श्रीकांत त्यागी को मिली जमानत, नोएडा की सोसाइटी में महिला से अभद्रता का मामला


Sonali Phogat Case: लिक्विड में मिलाकर सोनाली फोगाट को दिया गया था 1.5 ग्राम ड्रग्स, गिरफ्तार पीए ने पूछताछ में किया खुलासा