1932 की खतियान आधारित अधिवास नीति का विरोध करने वाले झारखंड के विरोधी- CM हेमंत सोरेन
Khatian Based Domicile Policy: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा राज्य के गठन के बाद इसकी बागडोर ऐसे लोगों के हाथों में रही जिन्होंने सिर्फ गंदगी फैलाने का काम किया.
Jharkhand CM Hemant Soren: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य को अलग राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी गई. कई लोगों ने इस आंदोलन में अपनी आहुति दी तब जाकर यह सपना पूरा हुआ है और ऐसे में यदि कोई यहां के खतियान का विरोध करता है तो वह न सिर्फ राज्य का विरोधी है बल्कि उन विभूतियों का भी अपमान करता है जिन्होंने अलग राज्य के लिए अपनी आहुति दी है.
मुख्यमंत्री सोरेन गोड्डा गांधी मैदान में आयोजित खतियान जोहार यात्रा के दौरान लोगों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राज्य के गठन के बाद इसकी बागडोर ऐसे लोगों के हाथों में रही जिन्होंने सिर्फ गंदगी फैलाने का काम किया. उन्होंने कहा कि राज्य की जनता ने उस कचरे को साफ करने का उन्हें मौका दिया है और वह लगातार राज्य में फैली गंदगी को साफ कर उसे बेहतर और उज्जवल झारखंड बनाने की दिशा में प्रयत्नशील हैं.
बीजेपी ने 20 सालों में राज्य का शोषण किया है
हेमंत सोरेन ने बीजेपी पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि पिछले 20 सालों से बीजेपी ने अपने शासनकाल में राज्य का शोषण किया है. हमारी सरकार जनता से किए हुए वादे पूरे कर रही है. ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ गांव के घरों तक पहुंच सके. बीजेपी हमारे विकास कार्यों को पचा नहीं पा रही है. डबल इंजन की सरकार ने राज्य को बहुत नुकसान पहुंचाया था. हमारी सरकार ने राज्य में रिक्त सरकारी पदों और सेवाओं में आरक्षण बढ़ाकर 77 प्रितिशत करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है. अब यह केंद्र की जिम्मेदारी है कि वह झारखंड की आरक्षण नीति और भूमि रिकॉर्ड ब्योरे के लिए 1932 को कट-ऑफ वर्ष के तौर मान्यता देने के लिए उसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करें.
झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार करती है केंद्र सरकार
हेमंत सोरेन आरोप लगाया, "केंद्र सरकार झारखंड के साथ हमेशा से सौतेला व्यवहार करती रही है. बीजेपी शासित प्रदेशों में लाखों-करोड़ों रुपए बिजली बिल बकाया है लेकिन वहां बिजली काटी नहीं जाती लेकिन झारखंड पर 100-200 करोड़ रुपए कर्ज होने के बाद भी केंद्र सरकार राज्य की बिजली काटती है." उन्होंने कहा कि पैसा भुगतान होने के बाद भी झारखंड को अनाज नहीं मिलता इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा.
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