आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबड़े को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने चीफ जस्टिस से राज्य में न्यायपालिका की निष्पक्षता सुनिश्चित करने की मांग की है. मुख्यमंत्री जगन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ जज पर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का कामकाज प्रभावित करने का आरोप लगाया है. यह अपने आप में अनोखा मामला है जहां राज्य के मुख्यमंत्री ने सीजेआई को सुप्रीम कोर्ट के दूसरे नंबर के जज के बारे में पत्र लिखा हो.


चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े को भेजी इस चिट्ठी में जगन ने सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज जस्टिस एन वी रमना पर विपक्षी पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) से घनिष्ठ संबंध रखने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि जस्टिस रमना टीडीपी के भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले मुकदमों को प्रभावित कर रहे हैं. उनके प्रभाव के चलते यह मामले हाई कोर्ट के चुनिंदा जजों के पास लग रहे हैं.


जगन ने चिट्ठी में कहा है कि जस्टिस रमना की चंद्रबाबू नायडू और टीडीपी से निकटता एक ज्ञात तथ्य है. पहले टीडीपी सरकार में जस्टिस रमना कानूनी सलाहकार और एडिशनल एडवोकेट जनरल रह चुके हैं. इस चिट्ठी में खास तौर पर एक भूमि घोटाले का ज़िक्र है.


उन्होंने बताया है कि सरकार की तरफ से जांच में किसानों की ज़मीन मामूली कीमत पर हड़पने के मामले में कई बड़े लोगों के नाम सामने आए. इसकी जानकारी केंद्र सरकार को भी भेजी गई. लेकिन चंद्रबाबू नायडू के करीबी पूर्व एडवोकेट जनरल दम्मलापति श्रीनिवास ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. 16 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने जांच पर रोक लगा दी. हाईकोर्ट ने मीडिया को भी मामले की रिपोर्टिंग से रोक दिया.


आंध्र प्रदेश के सीएम रेड्डी ने सीजेआई से अनुरोध किया है कि वह खुद मामले पर संज्ञान लें. न्यायपालिका के हित में उचित कदम उठाएं. यह सुनिश्चित करें कि राज्य में हाईकोर्ट बिना किसी प्रभाव के काम कर सकेय


कौन हैं जस्टिस रमना


जस्टिस एन वी रमना अब तक एक गैरविवादित और स्वच्छ छवि के जज रहे हैं. वह सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता के लिहाज से दूसरे नंबर पर हैं. परंपरा के मुताबिक वर्तमान चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े के अप्रैल 2021 में रिटायर होने के बाद उन्हें चीफ जस्टिस बनना है.


जस्टिस रमना ने कई बड़े मामलों पर सुनवाई की है. हाल में उनकी अध्यक्षता वाली बेंच ने जम्मू-कश्मीर में 4G इंटरनेट पर पूरी तरह रोक के सरकारी आदेश को गलत करार दिया, उस पर दोबारा विचार के लिए कहा. जस्टिस रमना उस बेंच के सदस्य रहे जिसने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस कार्यालय को सूचना अधिकार कानून (RTI) के दायरे में माना. सांसदों/विधायकों के खिलाफ देश भर में लंबित मुकदमों के निपटारे में तेज़ी लाने पर जस्टिस रमना की अध्यक्षता में सुनवाई चल रही है. सभी हाई कोर्ट से इस पर रिपोर्ट मांगी गई है.




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