National Capital: तेलंगाना से उठी हैदराबाद को देश की दूसरी राजधानी बनाने की मांग, जानिए क्या है पूरा मामला
Ambedkar’s grandson Prakash Ambedkar : प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि बाबासाहेब अंबेडकर ने 1956 में स्पष्ट कर दिया था कि राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार पर नहीं होना चाहिए.
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Prakash Ambedkar: संविधान निर्माता डॉ. बीआर आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर ने शुक्रवार (14 अप्रैल) को कहा कि तेलंगाना सरकार हैदराबाद को भारत की दूसरी राजधानी बनाने की मांग कर सकती है. जैसा कि आंबेडकर ने संविधान सभा में कहा था कि जब-जब भारत की सुरक्षा का सवाल उठेगा तो देश की दूसरी राजधानी बनने की मांग तेज होती जाएगी. एक बार तो उन्होंने हैदराबाद देश की दूसरी राजधानी बने इसके सुझाव भी दिए थे.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने हैदराबाद में शुक्रवार को आंबेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया था. इस दौरान उन्होंने कहा कि दिल्ली पाकिस्तान की सीमा से केवल 300 किमी और चीन की सीमा से 500 किमी दूर है. के चंद्रशेखर राव ने बाबासाहेब की भूमिका की बात करते हुए कहा कि आंबेडकर ने महसूस किया था कि जब तक देश की दूसरी राजधानी नहीं होगी, तब तक देश का विकास अच्छे से नहीं हो पाएगा.
आंबेडकर के पोते ने क्या कहा?
प्रकाश आंबेडकर जो पहले दलित बंधु योजना के कार्य को देखने के लिए हुजूराबाद गए थे. उन्होंने इस योजना को शुरू करने के लिए केसीआर सरकार की प्रशंसा की. इसके साथ ही उन्होंने ने कहा कि यह आर्थिक असमानताओं को दूर करने और गरीबी उन्मूलन में काफी सराहनीय कदम है. दलित बंधु योजना के तहत राज्य सरकार प्रत्येक दलित परिवार को अपने पसंद के व्यवसाय चुनने के लिए 10 लाख रूपये देती है. हालांकि उन्होंने सरकार को यह सुनिश्चित करने का सुझाव दिया कि इस 10 लाख रुपये का मूल्य एक साल बाद भी बना रहे.
क्या देश की दूसरी राजधानी बनाने की मांग जायज?
बाबासाहेब के पोते प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि बाबासाहेब कहा करते थे कि जब तक हम रुपये के मूल्य को स्थिर नहीं करते, तब तक गरीबी उन्मूलन नहीं होगा. प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि तेलंगाना जैसे छोटे राज्यों में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा हो सकती है. उन्होंने कहा कि बाबासाहेब ने 1956 में स्पष्ट कर दिया था कि राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार पर नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा था कि राज्यों का पुनर्गठन करते समय आपको आर्थिक स्थिति, भौगोलिक सीमाओं को देखना होगा और क्या वे अच्छी प्रशासनिक इकाइयां बन सकती है.
देश को एक धार्मिक राज्य में बदलने के प्रयासों की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि बीआर आंबेडकर के शब्दों को याद किया जाना चाहिए कि धर्म और जाति की राजनीति में पहला शिकार राष्ट्रीय नेता होता है. कोई राष्ट्रीय नेता नहीं होगा. उन्होंने आगे कहा और दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अंतिम राष्ट्रीय नेता थे जो अपनी ही पार्टी के खिलाफ गए थे. प्रकाश आंबेडकर ने आशा व्यक्त की कि तेलंगाना के लोग केसीआर को अपना समर्थन देकर देश को रास्ता दिखाएंगे.
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